इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैर वित्त पोषित विद्यालय में नियुक्त अध्यापक को उसके पेंशन लाभ में पूरी सेवा जोड़े जाने का हकदार माना है क्योंकि विद्यालय बाद में वित्त पोषित हो गया और अध्यापक वित्त पोषित विद्यालय से रिटायर हुआ।
कोर्ट ने अध्यापक की नियुक्ति अनुमोदित होने की तिथि से रिटायर होने की तिथि तक की पूरी सेवा को जोड़ते हुए विभाग को पेंशन पुनरीक्षित करने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट में यह शर्त लगाई है कि अध्यापक मैनेजमेंट कोटे का जीपीएफ अंशदान ब्याज सहित जमा करेगा। फर्रुखाबाद के रामपाल सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने याची की अधिवक्ता विनय शर्मा को सुनकर दिया।
याचिका में कहा गया कि याची टैगोर विद्यालय फर्रुखाबाद में वर्ष 1977 में नियुक्त हुआ तथा बीएसए ने 1979 में उसकी नियुक्ति को अनुमोदित कर दिया। यह गैर वित्त पोषित प्राइवेट विद्यालय था। 1983 में विद्यालय को उच्चीकृत कर हाईस्कूल कर दिया गया तथा उसे मान्यता प्राप्त हो गई। और याची सीटी ग्रेड में प्रोन्नत हो गया। 8 फरवरी 1996 से विद्यालय ग्रांट इन एड पर आ गया तथा कर्मचारी व अध्यापकों को राज्य सरकार से वेतन मिलने लगा। याची 2015 में आगरा से सेवानिवृत्त हुआ।