लखनऊ : क्या बच्चा आपकी बात नहीं सुनता ? चिड़चिड़ा हो गया है? दोस्तों से भी दूर रहने लगा है? उसे धुंधला दिखने लगा है? अगर ऐसा है तो उसे तत्काल विशेषज्ञ को दिखाएं, क्योंकि बच्चे के दिमाग पर मोबाइल एडिक्शन यानी आनलाइन गेम की लत का बुरा असर पड़ रहा है। ये कहना है कल्याण सिंह कैंसर संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक और वरिष्ठ मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. देवाशीष शुक्ल का।
डा. शुक्ल कहते हैं, पांच से 15 साल के उम्र के बच्चे मोबाइल एडिक्शन के चलते डिप्रेशन, एंजाइटी, अटैचमेंट डिसार्डर और मायोपिया जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। मानसिक रोग विभाग की ओपीडी में रोजाना ऐसे 10-15 बच्चे आते हैं। अभिभावक परेशान हैं, लेकिन इसके जिम्मेदार वे ही हैं। शहरों में ज्यादातर माता-पिता नौकरी करते हैं। बच्चों की देखभाल करने वाला कोई नहीं होता। ऐसे बच्चों का ज्यादातर समय मोबाइल पर बीतता है। जब तक अभिभावक कुछ समझ पाते हैं तब तक बहुत देर हो जाती है। डा. देवाशीष के मुताबिक, अमेरिकन एकेडमी आफ पीडियाट्रिक्स का मानना है कि बच्चों पर आनलाइन गेमिंग की वजह से गंभीर असर हो रहा है।
आउटडोर गेम से जोड़ें
डा. देवाशीष शुक्ल की सलाह है कि बच्चों को खतरनाक लत से बचाने के लिए उन्हें खेल गतिविधि से जरूर जोड़ें। इस समय स्कूलों में गर्मी की छुट्टी हो चुकी है। शहर में कई स्टेडियम हैं, जहां लगभग सभी तरह के खेल के लिए समर कैंप आयोजित होते हैं। बच्चों को किसी एक खेल में दाखिला दिलाएं। सुबह या शाम के सत्र में अपने साथ स्टेडियम ले जाएं। इसके अलावा बच्चों को व्यस्त रखने के लिए खाली समय में पेंटिंग और म्यूजिक से भी जोड़ सकते हैं। इस प्रयास से धीरे-धीरे लत तो साथ ही बच्चे मानसिक और शारीरिक तौर पर अधिक मजबूत होंगे।