लखनऊः जिला बेसिक शिक्षा विभाग अब कम्पोजिट ग्रांट से सिम खरीदकर डाटा के साथ परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों को टैबलट के लिए उपलब्ध कराएगा। पर शिक्षकों को अब ऑनलाइन उपस्थिति के साथ 12 पंजिकाओं को भी ऑनलाइन रजिस्टर करना होगा। शासन ने इसके निर्देश जारी कर दिए हैं।
बेसिक शिक्षा विभाग के महानिदेशक के 27 अप्रैल के
निर्देशानुसार पहले शिक्षकों को अपने पास से सिम खरीदकर उसमें डाटा डालकर टैबलट का इस्तेमाल करना था। जिसका भुगतान कम्पोजिट ग्रांट से किये जाने के निर्देश थे। लेकिन, प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुधांशु मोहन के विरोध पर शासन को फैसला वापस लेना पड़ा। अब विभाग स्वयं सिम की खरीदारी करेगा। सुधांशु मोहन का कहना था कि कम्पोजिट ग्रांट स्टूडेंट्स की संख्या के आधार पर मिलती है। सिम और डाटा का खर्च डालने से ग्रांट कम हो जाएगी। इससे विद्यालयों में मरम्मत का कार्य ही पूरा नहीं हो पाएगा।
खुद पर आया खर्च तो बढ़ा दिए 900 रुपये
शासन ने शिक्षकों को टैबलट इस्तेमाल के लिए सिम और डाटा के एवज में 1500 रुपये प्रतिवर्ष का बजट अलॉट किया था। लेकिन, अब विभाग इसकी खरीद करने जा रहा है तो यह खर्च बढ़ाकर 2400 कर दिया गया है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर शिक्षकों को जब सिम और डाटा के लिए 1500 रुपये देने के निर्देश थे तो अब विभाग अतिरिक्त 900 रुपये किस चीज पर खर्च करेगा ?