छह साल बाद 2030 से शिक्षक भर्ती की न्यूनतम योग्यता बदल जाएगी। 4 वर्षीय एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम (आईटीईपी - 12वीं के बाद चार साल का बीएड ) के आधार पर सभी तरह के शिक्षकों की बहाली की जाएगी। इतना ही नहीं, वित्तीय वर्ष 2027-28 तक एक-एक करके शिक्षक प्रशिक्षण के लिए अभ्यर्थियों के लिए होने वाले सभी डीएलएड कार्यक्रमों को समाप्त कर दिया जाएगा। फिलहाल 2024-25 सत्र ही शिक्षक शिक्षण प्रशिक्षण के लिए अंतिम सत्र होगा। दरअसल, अब देशभर में शिक्षकों की बहाली के लिए न्यूनतम योग्यता में बदलाव किया जाना है। वर्तमान में यह अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग है। हालांकि झारखंड समेत कई राज्यों में डीएलएड जैसे शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को समाप्त कर दिया गया है। जल्द ही बिहार समेत अन्य राज्यों में भी यह लागू हो जाएगा।
भागलपुर समेत पूरे बिहार और देशभर में अब शिक्षकों की भर्ती के लिए न्यूनतम योग्यता में बदलाव किये जाने को लेकर कार्ययोजना तैयार की जा रही है। इसमें बिहार समेत देशभर में डायट की संख्या में इजाफा किये जाने की योजना है। इसके बाद शिक्षकों को कई तरह के सेवाकालीन शिक्षण प्रशिक्षण की योजना पर काम शुरू कर दिया गया है। शिक्षा मंत्रालय की अंतिम अवधारणा के अनुसार आने वाले 6 सालों यानी साल 2030 तक बिहार समेत सभी राज्यों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के तय मानक के आधार पर बहुविषयक संस्थान को विकसित करने की तैयारी करनी होगी। जबकि शिक्षक अभ्यर्थियों को स्नातक के बाद दो वर्ष के विशेष विषय में बीएड डिग्री की मान्यता भी बहाल रहेगी। वहीं जिनके पास चार वर्षीय स्नातक डिग्री होगी, या किसी विशेष विषय में एमए किया होगा, उनके लिए एक वर्षीय बीएड डिग्री पर भी काम चल रहा है।
शिक्षण प्रशिक्षण के लिए डीएलएड समेत अन्य कार्यक्रमों को समाप्त करने की योजना है। सत्र 2024-25 डीएलएड प्रशिक्षण का अंतिम सत्र हो सकता है। फिर शिक्षक भर्ती की न्यूनतम योग्यता 4 वर्षीय एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम होगा। देश में डायट की संख्या बढ़ाए जाने पर काम चल रहा है। यह 2030 तक हो जाएगा। - श्रुति, प्राचार्य, डायट, भागलपुर