प्रयागराज, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत किसी बच्चे को नगर निगम वार्ड के आधार पर दाखिला देने से मना नहीं किया जा सकता है। स्कूल यह नहीं कह सकता कि बच्चा नगर निगम के जिस वार्ड में निवास कर रहा है, उसी वार्ड के स्कूल में उसे दाखिला मिलेगा दूसरे वार्ड के स्कूल में नहीं। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने अरजीत प्रताप सिंह की याचिका पर उसके अधिवक्ता रजत ऐरन और सरकारी वकील को सुनकर दिया है।
मुरादाबाद के वार्ड 15 निवासी अरजीत प्रताप सिंह ने शिक्षा के अधिकार कानून के तहत जिले के वार्ड 16 स्थित आर्यंस इंटरनेशनल स्कूल की प्री नर्सरी कक्षा में अलाभित समूह के लिए आरक्षित 25 प्रतिशत कोटे में आवेदन किया था। खंड शिक्षा अधिकारी मुरादाबाद ने उसका आवेदन इस आधार पर खारिज कर दिया कि बच्चे ने अपने वार्ड से इतर वार्ड स्थित विद्यालय में आवेदन किया है। याची के अधिवक्ता रजत ऐरन का कहना था कि संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत शिक्षा का अधिकार मौलिक अधिकार है। वर्ष 2009 के आरटीई एक्ट में केवल अपने वार्ड के स्कूल में ही एडमिशन लेने की कोई बाध्यता नहीं है। शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है।