नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बेहतर प्रशासन के लिए सांसदों और विधायकों की चौबीसों घंटे डिजिटल निगरानी करने के लिए केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है। शीर्ष अदालत ने कहा कि सांसदों व विधायकों के पास भी निजता का अधिकार है और निगरानी के लिए उनके शरीर में चिप नहीं लगा सकते।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्र की पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा, सांसदों पर लगाम लगाने का आदेश कैसे पारित कर सकती है, जो अपराधियों के लिए किया जाता है। सुरिंदर नाथ कुंद्रा की इस जनहित याचिका में देश के सभी सांसदों और विधायकों की डिजिटल निगरानी करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। पीठ ने कहा, कल लोग कहेंगे कि हमें जजों की क्या जरूरत
है, हम सड़कों पर फैसला करेंगे। हमें लगता है कि कोई जेबकतरा है और इसे मार देना चाहिए। तो हम नहीं चाहते कि ऐसा हो। इसलिए, हर लोकतांत्रिक समाज में न्यायाधीश होते हैं जो संस्थागत तरीके से निर्णय लेते हैं।
याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाने की चेतावनी
याचिकाकर्ता ने कहा कि अदालत को उसे अपना मामला पेश करने की अनुमति देनी चाहिए कि वह यह निर्देश क्यों मांग रहा है। इस पर पीठ ने चेतावनी देते हुए कहा, अगर आप बहस करते हैं और हम आपसे सहमत नहीं होते हैं तो आपसे भू-राजस्व के रूप में 5 लाख रुपये की वसूली की जाएगी। यह हमारा अहंकार नहीं है, यह जनता का समय है। कई अन्य मामले भी हैं।