कॉल्विन अस्पताल की नैदानिक मनोवैज्ञानिक डॉ. ईशान्या राज बताती हैं कि ऐसी घटनाओं से अपने लाडले या लाडली को बचाना है तो उन्हें सीख देनी होगी। सबसे मुख्य बात यह है कि उन्हें सेफ व अनसेफ टच के बारे में बताना होगा। माता-पिता की यह जिम्मेदारी है कि वह बच्चों को उनके शरीर के बारे में बताएं और यह भी सिखाएं कि उन्हें कब किस तरह से विरोध करना
इन बातों का भी रखें ध्यान...
■ माता-पिता दिनभर में एक समय ऐसा रखें जब वह बच्चों से उनकी दिनभर की गतिविधियों के बारे में बात करें।
■ बच्चों की छोटी-छोटी बात को भी नजरअंदाज न करें। पूरी गंभीरता से सुनें।
■ माहौल ऐसा रखें कि बच्चे कोई भी बात कहने से डरें या हिचकें नहीं।
■ जीवन कौशल से जुड़े प्रेरक प्रसंगों के बारे में बता नैतिक मूल्य विकसित करें।
■ उन्हें बताएं कि अजनबी से खाने-पीने या खिलौने आदि न लें।
■ बच्चे के व्यवहार में अचानक परिवर्तन, जैसे गुस्सा, उदासी, चिड़चिड़ापन आदि आए तो उसे कतई नजरअंदाज न करें।