प्रयागराज। नए शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन के बाद सबसे पहले लंबित परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। नए आयोग के सामने प्रश्न पत्रों की सुरक्षा व परीक्षा का पारदर्शी आयोजन सबसे बड़ी चुनौती होगी।
बीते दिनों पुलिस भर्ती परीक्षा और समीक्षा (आरओ)/सहायक अधिकारी समीक्षा अधिकारी (एआरओ) प्रारंभिक परीक्षा-2023 में पेपर लीक के कारण दोनों परीक्षाएं निरस्त कर दिए जाने से भविष्य में होने वाली परीक्षाओं में प्रश्न पत्रों की सुरक्षा बड़ी चुनौती होगी। शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन की प्रक्रिया अंतिम दौर में है।
नए आयोग के सक्रिय होते ही सबसे पहले सहायक अध्यापक (टीजीटी)/प्रवक्ता (पीजीटी) के 4163 पदों पर लंबित भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इस भर्ती के लिए 13.9 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किए हैं। जिनकी संख्या आरओ/एआरओ परीक्षा के अभ्यर्थियों से भी अधिक है। ऐसे में आयोग को केंद्र निर्धारण और प्रश्न पत्रों की सुरक्षा
के लिए अतिरिक्त इंतजाम करने होंगे। पुलिस भर्ती परीक्षा के आयोजन में तो पूरा पुलिस महकमा लगा था, इसके बावजूद परीक्षा से पहले पेपर वायरल हो गया। वहीं, प्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित भर्ती संस्थान उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा के लिए किए गए तमाम इंतजाम उस समय नाकाफी साबित हुए, जब परीक्षा से कुछ देर पहले दोनों पालियों के प्रश्न पत्र व्हाट्सएप पर वायरल हो गए।
प्रदेश की दो सबसे बड़ी परीक्षाओं में पेपर वायरल होने के बाद सरकार के सामने भी चुनौती खड़ी हो गई है कि पेपर लीक की घटनाओं को कैसे रोका जाए। नए आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों को भी इसी चुनौती का
सामना करना होगा। उच्च शिक्षा निदेशालय के सूत्रों का कहना है कि पेपर लीक की घटनाओं के बाद शासन नए आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति को लेकर विशेष सतर्कता बरत रहा है।
यही वजह है कि आवेदनों की स्क्रीनिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी - अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति में वक्त लग रहा है। नए आयोग के माध्यम से बेसिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा में शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। यूपीटीईटी का आयोजन भी नया आयोग ही कराएगा। ऐसे में अन्य भर्ती संस्थानों के मुकाबले नए आयोग के पास ज्यादा काम होगा।
अभ्यर्थियों को उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव से पहले नए आयोग का गठन कर दिया जाएगा और आयोग कुछ नई भर्तियों की घोषणा भी कर देगा लेकिन अब यह मुश्किल लग रहा है। चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही आचार संहिता लागू हो जाएगी। ऐसे में नए आयोग के गठन की प्रक्रिया भी अटक जाएगी और अभ्यर्थियों को लंबित भर्ती परीक्षाओं के लिए चुनाव खत्म होने का इंतजार करना होगा।