नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि क्रूरता/ उत्पीड़न का कोई साक्ष्य नहीं है तो शादी के सात साल के भीतर पत्नी द्वारा आत्महत्या करने पर पति को उकसाने के आरोप में सजा नहीं दी जा सकती। शीर्ष अदालत ने पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में पति को दोषी ठहराकर दी गई सजा रद्द करते हुए टिप्पणी की।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने हाल ही में पारित अपने फैसले में कहा कि उत्पीड़न या क्रूरता के किसी भी ठोस सबूत के अभाव में सिर्फ अनुमान लगाकर किसी आरोपी को आईपीसी की धारा 306 के तहत अपराध के लिए दोषी नहीं ठहरा सकते।
पीठ ने कहा कि उसे (अदालत) इस निष्कर्ष पर पहुंचने में महज 10 मिनट से अधिक समय नहीं लगा कि आईपीसी की धारा 306 के तहत दंडनीय अपराध के लिए अपीलकर्ता को दोषी ठहराकर दी गई सजा कानून की नजर में टिकाऊ नहीं है। शीर्ष अदालत ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा 2010 के फैसले को रद्द करते हुए की है।