प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट में जूनियर
बेसिक स्कूलों में ट्रेनी शिक्षकों के बचे हुए 12091 अभ्यर्थियों की काउंसिल कराने के एकल पीठ के आदेश के खिलाफ सुनवाई जारी है। दो दिनों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की विशेष अपील बेंच ने परिषद के अधिवक्ता से काउंसिलिंग में अपनाई गई चयन की प्रक्रिया व कट ऑफ मार्क्स को लेकर अपनाए गए नियमों को बताने को कहा है। कोर्ट मंगलवार को फिर इन अपीलों पर सुनवाई करेगा।
जूनियर बेसिक स्कूलों में ट्रेनी शिक्षकों के 75 हजार, 885 पदों पर भर्ती के लिए 30 नवंबर 2011 को विज्ञापन जारी हुआ था। मामले में विवाद उत्पन्न होने पर एकलपीठ ने 12981 बचे हुए अभ्यर्थियों की दोबारा काउंसिलिंग कराने का आदेश पारित किया था। एकल जज की ओर से पारित आदेश के
खिलाफ प्रदेश सरकार व बेसिक शिक्षा बोर्ड की ओर से विशेष अपील दाखिल की गई है। दोनों पर न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा एवं न्यायमूर्ति एसक्यूएच रिजवी की खंडपीठ सुनवाई कर रही है।
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय तथा बेसिक शिक्षा बोर्ड की ओर से कुष्मांडा शाही ने एकल जज के आदेश के खिलाफ विशेष अपील दाखिल की है। इनमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 एवं बाद में इसमें अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल अवमानना मामले में 13 दिसंबर 2019 को
सरकार की ओर से ट्रेनी टीचरों की भर्ती को सही मानते हुए अवमानना का केस खत्म कर दिया था। ऐसे में 2011 की भर्ती को लेकर शेष बचे अभ्यर्थियों की फिर से काउंसिलिंग कराने का एकल जज का निर्देश गैरकानूनी है। मामले में एकल पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट
ने विनय कुमार पांडेय व कई अन्य तथा इससे संबद्ध अन्य याचिकाओं पर आदेश पारित कर निर्देश दिया था कि शेष बचे अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग कराने के लिए नया विज्ञापन, 5 फरवरी 2024 से शुरू होने वाले सप्ताह में ि जारी करते हुए तीन अखबारों में प्रकाशित कराया जाए।
वहीं, दूसरी ओर अभ्यर्थियों विनय कुमार पांडेय व अन्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे, एचएन सिंह, आरके ओझा, अनिल तिवारी का कहना है कि एकल जज के आदेश में कोई त्रुटि नहीं है। सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अवमानना वाद में सही तथ्य प्रस्तुत नहीं किया गया।