मुंबईः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को टैक्स विवाद में राहत देने वाला बड़ा फैसला लिया। उन्होंने ऐलान किया कि वित्त वर्ष 2009-10 तक की अवधि से जुड़े 25 हजार रुपये तक के बकाया टैक्स डिमांड नोटिस को वापस लिया जाएगा। वहीं वित्त वर्ष 2010-11 से 2014-15 तक की अवधि के 10 हजार रुपये तक के ऐसे डिमांड नोटिस वापस लिए जाएंगे। यानी अब ऐसे टैक्स डिमांड वाले सभी इनकम टैक्स रिटर्न को ऑटोमेटिक क्लियर कर दिया जाएगा। इसके लिए टैक्सपेयर को कुछ करने की जरूरत नहीं होगी। इस फैसले से दशकों से चले आ रहे टैक्स विवाद खत्म होंगे और 1 करोड़ टैक्स पेयर को फायदा होगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि इनमें से कई डिमांड 1962 से पुरानी हैं। यह बही- खातों में बनी हुई हैं। इससे ईमानदार टैक्सपेयर्स को चिंता हो रही है। इन डिमांड से बाद के वर्षों के रिफंड में बाधा आ रही है। बजट भाषण के बाद वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि ओरिजनल डिमांड में इंटरेस्ट इनकम जोड़कर 25,000 रुपये तक की विवादित टैक्स डिमांड ही वापस ली जाएंगी। रेवेन्यू सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा ने कहा कि सरकार 2014-15 तक जिन विवादित टैक्स डिमांड नोटिस को वापस ले रही है, वह पांच साल में ही कुल 3,500 करोड़ रुपये की हैं।
ये लंबित डिमांड नोटिस, इनकम, वेल्थ और गिफ्ट टैक्स से जुड़ी हैं। टैक्स एक्सपर्ट टी.पी. ओस्तावाल ने कहा कि जिस तरह कोई व्यापारी अपना चौपड़ा (अकाउंट) साफ करता है, वैसा ही कदम सरकार ने उठाया है। टैक्स एक्सपर्ट मनीष गाडिया कहते हैं, पहले फिजिकल डिमांड निकलती थी और अब सिस्टम कंप्यूयराइज्ड होने के बाद इनकम टैक्स विभाग को भी नहीं पता कि यह किस चीज का डिमांड नोटिस है। ऐसे में सरकार ने जो कदम उठाया, वह विभाग और करदाता दोनों के लिए राहत वाला है।