शिक्षा के क्षेत्र में आवंटन जीडीपी के छह फीसदी तक पहुंचना चाहिए। आवंटन बढ़ा है पर वह महंगाई के मुताबिक बहुत ज्यादा नहीं है। नई शिक्षा नीति के तहत सुधारों के लिये ज्यादा धन की दरकार होगी।
यह बजट में दिखाई नहीं दे रहा है। नई शिक्षा नीति के तहत प्री स्कूलिंग को लेकर जो लक्ष्य तय किया गया उस पर स्पष्टता होनी चाहिए। इसके अलावा, नवी से बारहवीं तक की पढ़ाई को लेकर भी कुछ घोषणा होनी चाहिए थी। शिक्षा के अधिकार के दायरे में लाने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की दरकार है। एआईसीटीई, यूजीसी सहित अन्य नियामक संस्थाओं के स्थान पर आयोग बनाने जैसे सुधार भी अधर में हैं। नई शिक्षा नीति के तहत इन सभी सुधारों पर समयबद्ध तरीके से काम होना था। लेकिन बजट से इन पर कोई स्पष्टता नहीं नजर आती