अगर किसी पेंशनर की पेंशन का दो बार राशिकरण हुआ है तो राशिकरण वाली राशि उसकी पेंशन में दो बार जोड़ी जाएगी। पहले राशिकरण की तिथि से 15 साल पूरा होने के बाद पहली और दूसरे राशिकरण की तिथि से 15 साल पूरा होने के बाद दूसरी बार पेंशन में राशि जोड़ी जाएगी। इस व्यवस्था को लेकर कई विभागों में बनी भ्रम की स्थिति को दूर करते हुए अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने प्रदेश के सभी विभागाध्यक्षों और कार्यालयाध्यक्षों को पत्र भेजा है।
राज्य सरकार के जिन कर्मचारियों को पेंशन अनुमन्य है वे अपनी मूल पेंशन का अधिकतम 40 प्रतिशत राशिकरण करा सकते हैं। न्यायिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारियों के लिए यह सीमा 50 प्रतिशत है। राशिकरण को पेंशन बेचना भी कहा जाता है। कर्मचारी जब सेवानिवृत्त होते हैं तो उनकी जो पेंशन बनती है उसका अपनी इच्छानुसार राशिकरण करवाते हैं। जितनी राशि का
राशिकरण होता है उतनी राशि मूल पेंशन से कम हो जाती है। जिस तिथि तो राशिकरण होता है उससे 15 साल के बाद फिर राशिकरण की गई राशि पेंशन में जुड़ जाती है।
सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं पेंशनर एसोसिएसन के प्रदेश अध्यक्ष अमरनाथ यादव ने बताया कि कई सेवानिवृत्त कर्मचारी ऐसे भी होते हैं जिनका वेतन पुनरीक्षण उनके सेवानिवृत होने के बाद होता है। ऐसी स्थिति में उनकी पेंशन संशोधित होकर बढ़ जाती है और इसी के साथ राशिकरण की सीमा में भी इजाफा हो जाता है। इन कर्मचारियों की बढ़ी हुई पेंशन के एक हिस्से का भी राशिकरण होता है। दोहरे राशिकरण के ऐसे मामलों में 15 साल की गणना को लेकर भ्रम की स्थिति थी। कर्मचारी नेता का कहना है कि 15 साल की गणना पहले राशिकरण से हो या दूसरे राशिकरण से, इस भ्रम को दूर करते हुए अपर मुख्य सचिव ने कहा है कि पहले राशिकरण की तिथि से 15 साल पूरा होने के बाद पेंशन में राशिकृत धनराशि जोड़ी जाएगी फिर दूसरे राशिकरण की तिथि से 15 साल पूरा होने के बाद पेंशन में उस राशि को जोड़ा जाएगा।