इसे विभाग की उदासीनता कहें या फिर कुछ और। जहानागंज के प्राथमिक विद्यालय बजहा में तीन दिन से छुट्टा पशु कैद हैं, लेकिन उनको गो आश्रय नहीं भेजा जा सका। मंगलवार को जब विद्यालय खुला तो बच्चे बिना पढ़े ही घर को वापस गए।
ब्लाॅक के बजहा गांव में त्रस्त किसानों ने रविवार को 80 छुट्टा पशुओं को पकड़ कर प्राथमिक विद्यालय में बंद कर दिया था। इसके बाद प्रधान रमेश राजभर ने ब्लाॅक के अधिकारियों को सूचना दी थी, ताकि पशुओं को गो आश्रय भेजा जा सके और मंगलवार को विद्यालय खुलने पर बच्चों की पढ़ाई सुचारू रूप से चल सके। जिम्मेदारों की उदासीनता के कारण मंगलवार को भी पशु गो आश्रय में नहीं भेजे जा सके। सुबह नौ बजे बच्चे और शिक्षक जब विद्यालय पहुंचे तो उसमें भारी मात्रा में पशु बंद थे। पूरे परिसर में गंदगी फैली थी। बच्चे गेट के बाहर खड़े रहे। बाद में बीइओ के निर्देश पर शिक्षकों ने बच्चों को बिना पठन-पाठन के ही घर वापस भेज दिया। दोपहर दो बजे के बाद विद्यालय से पशुओं को ले जाने की कार्यवाही शुरू हो सकी। देर शाम तक कुछ पशु ही गो आश्रय में भेजे जा सके थे। बाकी के पशु विद्यालय परिसर में ही पड़े थे। बीडीओ विकास शुक्ला ने बताया कि शाम तक सभी पशुओं को गाड़ी में भरकर गो आश्रय में छोड़ा जाएगा और प्रांगण की सफाई कराई जाएगी।