शिक्षक भर्ती में गुरुजी बनने की हसरत में चचेरे भाई बने मुन्नाभाई, गए जेल

 शिक्षक भर्ती में दूसरे के दस्तावेज के सहारे काउंसिलिंग की कोशिश करते हुए बीएसए ने पकड़ा

बीएसए की तहरीर पर सदर पुलिस ने धोखाधड़ी सहित अन्य धारा में दर्ज किया केस


सिद्धार्थनगर। बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी दस्तावेज के सहारे नौकरी हासिल करने का सिलसिला रुक नहीं रहा है। गुरुजी बनने की हसरत में दो चचेरे भाई मुन्नाभाई बन गए। दूसरे के दस्तावेज के सहारे काउंसिलिंग कराने की कोशिश करते हुए शुक्रवार रात बीएसए ने उन्हें पकड़ लिया। शनिवार को बीएसए की तहरीर पर सदर पुलिस ने धोखाधड़ी सहित अन्य धारा में केस दर्ज करके दोनों को जेल भेज दिया।



बेसिक शिक्षा विभाग में वर्ष 2017 में चयनित हुए अभ्यर्थियों की शासन के निर्देश पर दोबारा काउंसिलिंग करते हुए शिक्षक पद पर तैनाती दी जा ही है। जिले में 302 शिक्षकों की तैनाती होनी थी। पुरानी सूची के आधार पर चयन किया जाना था। सुबह 10 से शाम पांच बजे तक चली काउंसिलिंग में 302 के सापेक्ष 87 शिक्षकों ने काउंसिलिंग कराई। प्रक्रिया पूरी करने के बाद कागजों की जांच चल रही थी।


बीएसए देवेंद्र कुमार पांडेय के मुताबिक दो लोग रात में पहुंचे और कानपुर से आने में देरी बताते हुए काउंसिलिंग के लिए आग्रह किया। उनकी समस्या को देखते हुए काउंसिलिंग का आदेश दिया गया। आवेदन में दोनों अंकपत्र एकदम नया दिखा। जबकि आवेदन के अनुसार 10 साल पुराना होना चाहिए था। संदेह हुआ तो आवेदन फार्म पर दिए गए नंबर पर जब बात की गई तो पता चला कि जिनकी अंकपत्र था वह मुरादाबाद और फिरोजाबाद मेें बतौर शिक्षक पद पर कार्यरत हैं। इससे यह स्पष्ट हो गया कि फर्जी दस्तावेज के सहारे नौकरी हासिल कर रहे थे। पूछताछ में इनकी पहचान कानपुर नगर के पनकी थाना क्षेत्र के आराजी नंबर 490 गडरिया पुरवा रतपुर राहुल यादव और बबलू बताया। दोनों चचेरे भाई हैं।

बीएसए ने इस संबंध में सदर थाने पर पहुंचकर तहरीर दी। मिली तहरीर के आधार पर पुलिस ने धोखाधड़ी सहित अन्य धारा में केस दर्ज करके दोनों जेल भेज दिया। मामले की छानबीन जारी है। इस संबंध में शहर कोतवाल गौरव कुमार सिंह ने बताया कि मिले तहरीर के आधार पर धोखाधड़ी सहित अन्य धारा में केस दर्ज करके जेल भेज दिया गया है। मामले की जांच शुरू कर दी है।




पूछताछ में खुल सकता है नेटवर्क

पूछताछ में बबलू और राहुल ने बताया कि फर्जी मार्कशीट बनाने में अमित ने सहयोग किया, लेकिन बाद में उन्होंने इस नाम को लेना बंद कर दिया। उन्होंने पहले चयनित हो चुके युवकों के नाम का अपना फर्जी आधार कार्ड बनवा लिया। नाम और शैक्षणिक प्रमाण पत्र असली आवेदक का था, जबकि उन्होंने पता अपना डाल दिया, लेकिन मोबाइल पहले से दर्ज था इस कारण उसे नहीं बदले थे। पूछताछ में फर्जी दस्तावेज पर नौकरी दिलाने के रैकेट का खुलासा भी होने की संभावना है।



इस प्रकार से घुसपैठ की कोशिश


शिक्षा विभाग में शिक्षक पद पर घुसपैठ के लिए दोनों चचेरे भाई मुन्नाभाई बन गए। जानकारों के मुताबिक पूरे आवेदन फार्म को दोनों ने किसी तकनीकी माध्यम से कॉपी कर लिया था। जब इनकी ओर से दस्तावेज प्रस्तुत किया गया तो मूल फार्म और निवासी प्रमाण पत्र में पते में भिन्नता मिली। इसके आधार पर पूर्व में हुए आवेदन पत्र को देखा गया तो उसने में भी भिन्नता पाई गई। इससे यह स्पष्ट हुआ कि यह फर्जी दस्तावेज का प्रयोग कर रहे थे।




जिनके नाम पर होना था चयन, उनकी पहले हुई थी काउंसिलिंग


पकड़े गए दोनों शातिरों को यह पता था कि दोनों लोग नौकरी कर रहे हैं। 2017 में दोनों लोगों ने काउसिंलिंग कराए थे। लेकिन भर्ती प्रक्रिया पर रोक के कारण चयन नहीं हुआ था। उसी सूची के आधार पर चयन होना था इसलिए यह लोग पूरी जानकारी लिए और फिर कॉपी पेस्ट का खेल करके शिक्षक बनने के लिए निकल पड़े। लेकिन गुरुजी बनने से पहले ही दबोच लिए गए।