मनमानी कर बढ़ा दिए गए बोर्ड परीक्षा के 401 केंद्र


बोर्ड परीक्षा के केंद्र निर्धारण में जहां से भी गड़बड़ी की शिकायत मिली है वहां की जांच कराई जाएगी। भविष्य में जिले स्तर पर होने वाली मनमानी पर पूरी तरह से अंकुश लगाने की कोशिश रहेगी।

-दिब्यकांत शुक्ल, सचिव यूपी बोर्ड

● ऑनलाइन निर्धारित केंद्रों को कर दिया निरस्त

प्रयागराज,  यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के केंद्र निर्धारण में पूरे प्रदेश में खेल हुआ। बोर्ड मुख्यालय से सॉफ्टवेयर की मदद से सभी 75 जिलों में कुल 7864 केंद्र बनाकर जिलों को भेजे थे। लेकिन जिलों में केंद्र बनाने के नाम पर खेल हो गया। केंद्र निर्धारण नीति के अनुसार बोर्ड ने सॉफ्टवेयर से 1017 राजकीय, 3537 राजकीय और 3310 वित्तविहीन कुल 7864 केंद्र निर्धारित किए थे। लेकिन जिलों से जो केंद्रों की अंतिम सूची आई तो उसमें यह संख्या बढ़कर 8265 हो गई। यानि 401 केंद्र बढ़ गए।

मामला यहीं तक होता तो भी ठीक था। जिलों ने बोर्ड से निर्धारित केंद्रों को निरस्त करते हुए अपने स्तर से मनमाने तरीके से अन्य स्कूलों को हाईस्कूल और इंटरमीडिएट जैसी संवेदनशील परीक्षा कराने की जिम्मेदारी सौंप दी। जिला विद्यालय निरीक्षकों और उनके बाबुओं की मनमानी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बोर्ड ने जहां 1017 राजकीय स्कूलों को केंद्र बनाया था वहीं जिलों से सूची फाइनल होने के बाद राजकीय स्कूलों में बने केंद्रों की संख्या घटकर 566 हो गई।


साफ है कि 451 राजकीय स्कूलों का केंद्र निरस्त कर दिया गया। इसी प्रकार सॉफ्टवेयर से केंद्र बने 3537 सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों की संख्या जिलों से मिली सूची में घटकर 3479 हो गई। यानि 58 एडेड कॉलेजों में बने केंद्रों को खारिज कर दिया गया। साफ है कि 451 राजकीय और 58 एडेड कुल 509 केंद्रों के स्थान पर वित्तविहीन स्कूलों को सेंटर बना दिया गया। बोर्ड ने ऑनलाइन जहां 3310 वित्तविहीन स्कूलों को ही केंद्र बनाया था वहीं जिलों में इनकी संख्या बढ़कर 4220 हो गई। यानि जिलों ने 910 नए वित्तविहीन स्कूलों को केंद्र बना दिया।