दो पक्ष हैं अब आमने सामने एक जिसको नियुक्ति पत्र मिल गया है और एक जो लीगल बहस चाहता है कि विज्ञापन की मूल आत्मा मारकर जो कार्य वर्तमान सत्ता ने भयंकर ठंड में किया है उस पर बात हो।
status quo aka stay अर्थात यथास्थिति या स्थागनादेश तब तक नही हटेगा जब तक अब इस मुद्दे पर अंतिम रूप से सुनवाई नही होगी और सबसे बड़ा मुद्दा है DB के दो controversial आदेश ।
मेरा कहना ये है कि इतनी होच पोच में एक पक्ष चाहेगा कि नियुक्ति का रास्ता साफ़ हो यानी स्टे हटे और एक चाहेगा कि अंतिम बहस हो और कहेगा इन नियुक्ति पत्रों को नियुक्ति में बदला गया तो right generate हो जाएगा फिर हमारा क्या होगा।
एक चीज़ और LEAVE GRANT अगर हो गई तो और पाँच सात साल अभ्यर्थी SC में लगे रहेंगे लिहाज़ा दोनों पक्ष अंतिम रूप से hearing के लिए कोर्ट को convince करें।
RULE वाले rule पर अडिग रहें और दूसरा पक्ष RTE act के अनुसार repugnancy पर। अब जिसका भला होगा हो जाएगा पदों में बढ़ोतरी नही होगी।
#rana