उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत लगभग डेढ़ लाख शिक्षामित्रों को बड़ी राहत मिलने जा रही है। शिक्षा मित्रों को मानदेय योगी सरकार बढ़ाने जा रही है। इस पर बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने शुक्रवार को सदन में बयान भी दिया है। विपक्ष की ओर से शिक्षा मित्रों की मांग पर आवाज उठने के बाद शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया है। वैसे यूपी में शिक्षा मित्र अपना मानदेय बढ़ाने और सहायक अध्यापक पद पर अखिलेश सरकार की तरह फिर से नियुक्त किए जाने की मांग करते रहे हैं।शिक्षा मित्रों ने अपने हक की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी फिर भी उनको राहत नही मिल सकी। उसके बाद शिक्षा मित्रों ने लगातार मानदेय बढ़ाने के लिए आवाज बुलंद की अब एक बार फिर उम्मीद है कि उनका मानदेय बढ़ेगा।
दरअसल विधानसभा शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन शुक्रवार को सपा नेता डा. मान सिंह यादव ने शिक्षा मित्रों के मानदेय में वृद्धि की मांग को लेकर आवाज बुलंद की। इस पर पहले तो सकारात्मक जवाब नहीं मिला लेकिन बाद में जब सपा के अन्य विधायकों ने भी सवाल पूछना शुरू किया तो बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने जवाब देते हुए कहा सभी शिक्षा मित्रों का जल्द ही मानदेय बढ़ाने पर विचार किया जायेगा।
मंत्री ने स्पष्ट किया क्यों घटा मानदेय
सपा विधायक डा. मानसिंह यादव ने कहा कि अखिलेश सरकार में शिक्षा मित्रों को एक समान वेतन दिया जा रहा था। उन्होंने कहा समान काम समान के क्रम में शिक्षा मित्रों को 40 हजार रुपए प्रति माह तक दिए जाते थे। लेकिन योगी सरकार में शिक्षा मित्रों को राहत नहीं मिली। उन्होंने इस पर भी सवाल उठाया कहा मानदेय के मामले में वर्ष 2018 में हाई पावर कमेटी बनी थी वह कमेटी कहा इस पर भी सरकार को बताना चाहिए। उन्होंने कहा योगी सरकार 10 हजार रुपये मानदेय दे रही है। इस पर बेसिक शिक्षा मंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 हजार शिक्षा मित्रों को राशि छोड़कर शेष को रिवर्ट कर दिया जिससे मानदेय की राशि पुरानी स्थित में पहुंच गई।
अब इतना हो सकता है मानदेय
बता दें कि प्रदेश में शिक्षा मित्रों की भी ओर से लागातार मानदेय बढ़ाने की मांग की जाती रही है। अब सरकार इस पर विचार करेगी। ऐसे में बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश सरकार दो से तीन हजार रुपये तक मानदेय में बढ़ोत्तरी कर सकती है। जबकि शिक्षा मित्र लगातार मांग कर रहे हैं कि उनको कम से कम 30 हजार रुपये प्रतिमाह दिया जाये। शिक्षा मित्र ये भी कहते हैं शिक्षा मित्र इतने कम दामों में प्रतिदिन स्कूल जाकर अपनी सेवाायें दे रहे हैं बावजूद उसके सरकार ने ध्यान नहीं दिया।
साल में 12 माह और मानदेय लेकिन 11 माह तक
मौजूदा समय में शिक्षा मित्रों को मानदेय 11 माह का मिलता है। जबकि साल में 12 महीने होते हैं। शिक्षा मित्र कहते हैं कि सरकार शिक्षकों को उनका वेतन पूरे 12 माह तक देती है तो शिक्षा मित्रों के साथ ये अन्याय क्यों? हालांकि इस पर सरकार का अगला कदम क्या होगा ये स्थिति स्पष्ट नहीं है। लेकिन सदन में घोषणा के बाद एक बार फिर से शिक्षा मित्रों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। बता दें कि शिक्षामित्रों की मांग है कि उनको फिर से नियमित कर सहायक अध्यापक बनाया जाए। बड़ी संख्या में शिक्षामित्र टीईटी पास हैं। उनके लिए नियमों में शिथिलता बरत कर नियुक्ति की जाए। इतना ही नहीं शिक्षामित्र चाहते हैं कि जब तक उनका नियमितीकरण नहीं होता है, तब तक उनको समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए।
30 हजार मानदेय होना चाहिए, लेकिन सरकार कर ही अन्याय- शिव कुमार शुक्ला
इस बारे में उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिव कुमार शुक्ला कहते हैं कि प्रदेश के शिक्षामित्र पिछले 22 सालों से परिषदीय विद्यालयों पढ़ा रहे हैं आज इस भीषण महंगाई के समय में मात्र ₹10000 मानदेय उनको मिल रहा है जिससे उनके परिवार का भरण पोषण होना मुश्किल है । संगठन की प्रदेश सरकार से मांग है की मानदेय कम से कम 30000₹किया जाए जिससे कि उनके परिवार का भरण पोषण ठीक से हो सके उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो ।
मंत्री के बयान से शिक्षा मित्रों को मिली राहत, लेकिन जल्द बढ़े मानदेय - कौशल कुमार सिंह
शिक्षा मित्रों के मामले में उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्रा संघ के प्रदेश मंत्री कौशल कुमार सिंह कहते हैं कि उत्तर प्रदेश के लगभग 137000 शिक्षामित्र का समायोजन सुप्रीम कोर्ट के निरस्त करने के उपरांत जुलाई 2017 से ₹10000 मानदेय दिया जा रहा है जो की बहुत कम है जबकि आज महंगाई के क्रम में मिड डे मील में 2017 से लेकर अब तक लगभग 35 % की बढ़ोतरी की गई है लेकिन शिक्षामित्र को आज भी 10000 ही मिल रहा है बेसिक शिक्षा मंत्री जी द्वारा जो मानदेय बढ़ाने की बात की गई है उसका संगठन स्वागत करता है । लेकन मानदेय जल्द बढ़ाना चाहिए।