कानपुर : फर्जी शिक्षक घोटाला के मामले में एक बार फिर विवेचक की लापरवाही सामने आई है। चार शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाण पत्र फर्जी होने के बाद दो आरोपितों को पुलिस ने जेल भेज दिया था। दोनों के खिलाफ चार्जशीट भी लग चुकी है। वहीं पुलिस फरार दो आरोपितों की तलाश करती रही और एक ने अब हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत भी ले ली, जबकि दोनों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी है। पीड़ित अब फर्जी शिक्षकों के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका लगाएगा। फिलहाल मंगलवार के पीड़ित ने पूरा मामला डीसीपी दक्षिण के सामने रखकर जांच कराने की मांग की वहीं, गिरोह का सरगना व मुकदमे के मुख्य आरोपित राजीव राठौर की अग्रिम जमानत खारिज हो चुकी है.
बर्रा संघर्ष नगर निवासी संदीप सिंह ने अपने ममेरे बहनोई ग्वालियर निवासी राजीव सिंह राठौर, उनकी पत्नी बबिता, रामशरण व अज्ञात के खिलाफ बर्रा थाने में अगस्त 2022 में पत्नी की नौकरी का झांसा देकर 34 लाख रुपये हड़पने व फर्जी चयन पत्र देने का मुकदमा दर्ज कराया था। मुख्य आरोपित दंपती ने अग्रिम जमानत ले ली थी, जबकि रामशरण ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था। वहीं, संदीप का आरोप है कि राजीव राठौर ने लोगों से करोड़ों रुपये लेकर फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र बनवा शिक्षा विभाग में नौकरी लगवाई है। राजीव ने कानपुर देहात के झींझक मंगलपुर के द्वारकागंज निवासी
अनिल कुमार, उसके भाई सुनील कुमार, झींझक के अजय प्रताप सिंह और औरैया के बेला निवासी बुजेंद्र कुमार उर्फ दीपू के भी फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र बनवाकर अलग-अलग जिलों के प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक की नौकरी लगवाई थी। पुलिस व शिक्षा विभाग की जांच में चारों के शैक्षिक प्रमाण पत्र भी फर्जी निकले। पुलिस ने अगस्त में अनिल व बृजेंद्र गिरफ्तार कर जेल भेजा था। पुलिस अन्य दोनों आरोपितों को पकड़ने के लिए दबिश देने व गैर जमानती वारंट लेने का दावा करती रही और एक आरोपित सुनील कुमार को हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत भी मिल गई