सुल्तानपुर। बीईओ की डांट से क्षुब्ध शिक्षक की आत्महत्या के मामले में कैस दर्ज होने के बाद बीईओ ने एफआईआर वापस लेने की मांग उठाई थी। किंतु डीएम को भेजे उस पत्र में असामाजिक तत्व लिखकर उन्होंने मुसीबत मोल ले ली। इस मामले में शिक्षक परिवार की पैरवी करने वाले स्नातक एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव दे दिया है। इससे शिक्षा विभाग के अधिकारी बैकफुट पर आ गए हैं.
शिक्षक सूर्यप्रकाश द्विवेदी की मौत के बाद शिक्षक संगठनों के साथ ही गोरखपुर- फैजाबाद स्नातक सीट से एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह, सुल्तानपुर-अमेठी से एमएलसी शैलेंद्र प्रताप सिंह आदि अनेक नेताओं ने बीईओ के खिलाफ केस दर्ज कराने में अहम भूमिका निभाई थी।
बीईओ मनोजीत राव के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद जिले के सभी खंड शिक्षाधिकारियों ने डीएम को एक पत्र सौंपकर इस एआईआर का विरोध जताया था। पत्र के जरिये कहा था कि यह गलत एफआईआर शिक्षक संगठनों और असामाजिक तत्वों के दबाव में दर्ज हुई है। एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने विधान परिषद के सभापति को नियम 233 के तहत भेजे विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव में कहा है कि उन्होंने इस मामले में बीईओ पर केस दर्ज करने के लिए डीएम, एसपी, डीजी बेसिक शिक्षा से लेकर डीजीपी और प्रमुख सचिव गृह तक से फोन पर वार्ता की थी। पूरा प्रकरण प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को ट्वीट भी किया था। ऐसे में बीईओ की ओर से असामाजिक तत्व शब्द का उल्लेख उनके व अन्य जनप्रतिनिधियों के लिए बिना नाम लिए किया गया है। यह उनके और एमएलसी शैलेंद्र प्रताप सिंह के विशेषाधिकारों का हनन है। इसलिए सभी खंड शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।
एमएलसी के इस तेवर से बीईओ बैकफुट पर आ गए हैं। जिले में उनका नेतृत्व कर रहे धनपतगंज के बीईओ उदयराज मौर्या का कहना है कि जनप्रतिनिधि हमारे लिए सम्मानीय हैं, उनके लिए इस शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है।