इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेश में प्राथमिक स्कूल भवनों की खस्ता हालत पर चिंता जताई है। कहा है कि प्राथमिक शिक्षा नागरिकों का मौलिक अधिकार है। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। स्कूल भवनों को जीर्ण-शीर्ण हालत में नहीं छोड़ा जा सकता। कोर्ट ने मुख्य सचिव से हलफनामा मांगा है कि प्राथमिक स्कूलों की मरम्मत और उनके नियमित रखरखाव की सरकारी नीति क्या है? पूछा है कि इसका हल किस तरह से निकाला जाएगा। यह टिप्पणी कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता तथा न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने चंद्रकला की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए की है।
बताया गया कि जिला शाहजहांपुर के पुवायां तहसील के जसवंतपुर ब्लाक की ग्राम पंचायत झरसा स्थित प्राथमिक स्कूल भवन वर्षों से जर्जर हालत में है। इसके कमरों में बैठकर पढ़ने वाले छात्रों के साथ कभी भी हादसा हो सकता है। कोर्ट ने इससे पहले बेसिक शिक्षा अधिकारी से जानकारी मांगी थी। बताया गया कि इस प्राथमिक स्कूल के साथ ही जिले के 30 और स्कूलों की हालत जर्जर है। एक कमेटी ने 19 नवंबर 2020 को इन स्कूलों का निरीक्षण कर ध्वस्तीकरण की संस्तुति भी की है, मगर अभी तक ध्वस्त कर पुनर्निर्माण नहीं किया जा सका है। एक दिसंबर 2023 को गठित दूसरी कमेटी ने जब निरीक्षण किया तो भी स्कूल उसी जर्जर भवन में चलता पाया गया। अब यह मरम्मत करने लायक नहीं रह गया है। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि स्कूल भवनों की मरम्मत, रखरखाव और पुनर्निर्माण के लिए प्रदेश सरकार से वित्तीय सहायता की मांग की गई है। स्वीकृति मिलने पर निर्माण कराया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि बच्चे ऐसे भवनों में पढ़ाई कर रहे हैं, जो जीर्ण-शीर्ण हैं। ऐसे भवनों में उनके जीवन पर हमेशा खतरा बना रहता है। मुख्य सचिव व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर उठाए गए कदमों की जानकारी दें