डीएम की संस्तुति और एफआईआर के बाद बीईओ निलंबित, बैठी जांच



 हरदोई। डीएम ने बीईओ की बर्खास्तगी की संस्तुति शासन से की है। वहीं, अभी कई अन्य पर भी कार्रवाई हो सकती है। इस मामले के बाद शिक्षा विभाग में खलबली है।






प्राथमिक शिक्षक संघ ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कुछ लोग संगठित गिरोह बनाकर शिक्षक व विभागीय अधिकारियों का सूचना के अधिकार के नाम पर आर्थिक व मानसिक दोहन कर रहे है। इस पर जिलाधिकारी ने प्रथम दृष्टया तत्कालीन बीईओ बेंहदर अशोक यादव व कार्यालय लिपिक मधुर पाल का मोबाइल जमा करा लिया था और मोबाइल की साइबर सेल से जांच कराई थी।





जांच टीम ने पाया था कि बीईओ अशोक यादव, पिहानी के कुल्लही निवासी विमलेश शर्मा, सुभाष नगर निवासी अतुल कुमार सिंह, चांद बेहटा निवासी भगत बाबा तेज गिरि और आशा निवासी राम शरण गुप्ता से विभागीय सूचनाएं साक्षा करते हैं और उसी पर विभाग में वह लोग शिकायतें दर्ज कराके अधिकारियों व कर्मचारियों को ब्लैकमेल करते हैं। डीएम के निर्देश पर शहर कोतवाली में पांचों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।





इस मामले में जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने बीईओ अशोक यादव की बर्खास्तगी की संस्तुति की गई है। जिलाधिकारी ने बताया कि बीईओ के खिलाफ बर्खास्तगी की संस्तुति शासन से की गई है और पुलिस को इस मामले कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।





बीईओ व विमलेश शर्मा के बीच हुए 150 पेज की चैटिंग



जांच टीम ने पाया कि बीईओ अशोक यादव और विमलेश शर्मा के बीच व्हाट्सएप पर जो चैट की गई, उसमें बीईओ पहले जानकारी देते थे, जिस पर विमलेश शर्मा शिकायत बनाता था। इसमें बाद में बीईओ संसोधन करके वापस करते थे। वहीं, अगले दिन शिकायत सूचना के अधिकारी के रूप में विभाग में दी जाती थी। इस तरह 150 पेज की चैटिंग मिली है। इसके अलावा 32 जीवी में दोनों के बीच के वार्ता का रिकार्ड है। विमलेश ने विभाग में सूचना के अधिकार के 50, अतुल सिंह ने 60, बाबा तेज गिरी ने 30 और रामशरन ने 102 आवेदन किए हैं।



हरदोई। बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ ही विभाग से संंबंधित गोपनीय जानकारियां बाहरी लोगों को देकर वसूली का संगठित गिरोह चलाने के आरोप में खंड शिक्षा अधिकारी समेत पांच लोगों के खिलाफ शहर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज की गई है। जांच समिति ने खंड शिक्षा अधिकारी की बर्खास्तगी की संस्तुति की है।





बीती पांच सितंबर को उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के लेटर पैड पर आलाेक कुमार मिश्र ने डीएम एमपी सिंह और बीएसए विजय प्रताप सिंह से शिकायत दर्ज कराई थी। इस शिकायत में कहा था कि पिहानी कोतवाली क्षेत्र के कुल्लही निवासी विमलेश शर्मा, शहर कोतवाली क्षेत्र के सुभाष नगर निवासी अतुल कुमार सिंह और आशा निवासी राम शरण गुप्ता एक संगठित गिरोह चलाते हैं। 





विभागीय अधिकारियों, कर्मचारियों और शिक्षकों की शिकायत कर आर्थिक शोषण करते हैं। बड़ी संख्या में कर्मचारियों और अधिकारियों से जुड़ी व्यक्तिगत जानकारियां सूचना का अधिकार के माध्यम से मांगते हैं। डीएम ने इस पत्र पर तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी। जांच समिति में एसडीएम शाहाबाद, सीओ शाहाबाद और बीएसए शामिल थे।





टीम को पता चला कि इस पूरे खेल के पीछे कुछ विभागीय लोग भी शामिल हैं। इस जानकारी पर डीएम ने बेहंदर के तत्कालीन बीईओ अशोक कुमार यादव, कनिष्ठ लिपिक मधुर पाल के मोबाइल फोन जब्त करा लिए और साइबर सेल से इसकी जांच कराई। जांच में पता चला कि अशोक कुमार यादव, विमलेश शर्मा को लगातार विभागीय जानकारियां दे रहा था। अधिकांश शिकायतें विमलेश शर्मा, भगत बाबा तेजगिरि ही तैयार करते थे। सोशल मीडिया में शिकायतों का प्रचार प्रसार कर उगाही की जाती थी।





जांच रिपोर्ट के आधार परखंड शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार यादव के साथ ही कुल्लही निवासी विमलेश शर्मा, सुभाष नगर निवासी अतुल कुमार सिंह, आशा निवासी राम शरण गुप्ता और चांद बेहटा निवासी भगत बाबा तेज गिरि के खिलाफ जालसाजी, भयभीत करके वसूली करने, गोपनीय दस्तावेजों को अवांछित लोगों तक पहुंचाने और दूसरों को नुकसान पहुंचाने की साजिश करने की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है।





शिकायतें लिखते थे दो लोग, दूसरे नामों से की जाती थी शिकायत

शहर कोतवाली में दर्ज कराई एफआईआर में स्पष्ट कहा गया है कि जब अशोक कुमार यादव का मोबाइल जब्त कर जांच साइबर सेल से कराई गई तो कई महत्वपूर्ण बिंदु सामने आए। अधिकांश शिकायतें विमलेश शर्मा और भगत बाबा तेजगिरि तैयार करते थे। इन शिकायतों को तैयार करने के लिए अशोक यादव की मदद ली जाती थी। 



लोकायुक्त कार्यालय में शिकायतें मनोज कुमार द्विवेदी, उपेंद्र कुमार राजन, ब्रजेश सिंह, अमित कुमार यादव आदि नामों से की जाती थीं। इसी तरह जनसूचना अधिनियम के तहत जानकारी मांगने के लिए भी प्रश्न विमलेश और भगत बाबा तैयार करते थे, जबकि अन्य नामों से इन सूचनाओं को मांगा जाता था।





हो सकती है आजीवन कारावास तक की सजा

वरिष्ठ अधिवक्ता ओपी दीक्षित के मुताबिक जिन धाराओं में मामला दर्ज हुआ है, वे संगीन हैं। शासकीय गुप्त बात अधिनियम, 1923 की धारा पांच के तहत दोष सिद्ध होने पर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। धारा 211 भी आरोपियों पर लगी है। इसमें सात वर्ष तक की सजा का नियम है।