सिर्फ बेसिक शिक्षकों की ही डिजिटल हाजिरी क्यों?

 फतेहपुर, भले ही सात जिलों के परिषदीय स्कूलों में टेबलेट के जरिए शिक्षकों की डिजिटल हाजिरी का फरमान है लेकिन इसका विरोध दोआबा में अभी से शुरू है। विभिन्न शिक्षक संगठनों ने इसके लिए कमर कस ली है। शुक्रवार को जूनियर शिक्षक संघ ने ब्लॉकों में प्रदर्शन कर बीईओ के माध्यम से सीएम को ज्ञापन भेजा है। पूरे राज्य में इस प्रावधान को लागू किए जाने की योजना को देखते हुए शिक्षकों ने इस प्रावधान का विरोध शुरू कर दिया है।


शिक्षकों का तर्क है कि उनकी नियुक्ति दूर दराज के दुर्गम क्षेत्रों में भी है। जहां आवागमन के लिए न तो सार्वजनिक परिवहन प्रणाली है और न ही इंटरनेट की निर्बाध पहुंच। बरसात, जाम या अन्य प्राकृतिक अथवा मानव जनित बाधाओं से स्कूल पहुंचने में कुछ समय की कभी कभार देर भी हो सकती है। इसे देखते हुए शिक्षकों की आनलाइन हाजिरी का आदेश समझ से परे है। शिक्षकों का यह भी तर्क है कि डीजीएसई को व्यवहारिक रवैया अपनाना चाहिए था। यदि शिक्षकों को स्कूल तक जाने के लिए विभागीय वाहनों की व्यवस्था की जाए तो इस उपस्थिति प्रक्रिया से कोई गुरेज नहीं है। विभाग ने न तो कोई परिवहन प्रणाली उपलब्ध की है और न ही अन्य संसाधन दिए, इसके बावजूद आनलाइन उपस्थिति का फरमान तानाशाही जैसा है।




अन्य विभागों में भी लागू की जाए व्यवस्था


शिक्षकों का यह भी कहना है कि राज्य सरकार के अन्तर्गत तमाम विभाग आते हैं। ऐसे में सभी विभागों के अधिकारियों एवं कर्मियों की डिजिटल उपस्थिति ली जाए तो भी समझ आता है लेकिन सिर्फ बेसिक शिक्षकों की डिजिटल उपस्थिति का प्रावधान करना शिक्षकों के प्रति दुर्भावनापूर्ण रवैया ही दर्शाता है।


बीआरसी में किया प्रदर्शन,दिया ज्ञापन


जूनियर शिक्षक संघ के आह्वान पर शुक्रवार को शिक्षकों ने जिले के सभी ब्लॉक संसाधन केन्द्रों पर प्रदर्शन कर डीजीएसई की नीतियों को जमकर कोसा और कहा कि शिक्षकों के साथ तानाशाही की जा रही है। सभी ब्लॉकों में अध्यक्ष एवं पदाधिकारियों ने सदस्यों के साथ मिलकर खंड शिक्षा अधिकारियों को मुख्यमंत्री के नाम सम्बोधित ज्ञापन सौंपा।