उत्तर प्रदेश पर्व हमारी संस्कृति-हमारी पहचान के अंतर्गत 'संस्कृति उत्सव-2023' मनाये जाने के संबंध में ।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक परम्परा प्राचीन काल से ही धर्म, दर्शन, कला, साहित्य एवं संगीत के क्षेत्र में सम्पूर्ण विश्व में अग्रणी रही है। यहां की सांस्कृतिक विरासत में कला एवं संगीत के क्षेत्र में गायन, वादन, नृत्य एवं लोकनाट्य की विभिन्न शैलियों के प्रमुख गुरूओं, आचार्यों एवं कलाविदों की महती भूमिका रही है, जिन्होंने अपनी साधना से अनेक कीर्तिमान स्थापित कर देश का मान बढ़ाया है। इसमें उत्तर प्रदेश के कलागुरूओं एवं साधकों की अपनी अलग पहचान है।
2. उत्तर प्रदेश शास्त्रीय एवं उप शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत तथा लोक नाट्य की विभिन्न विधाओं से अत्यन्त समृद्ध है जो समय-समय पर राजकीय प्रश्रय प्राप्त कर सफलता के शीर्ष पर स्थापित हुयी। इन परम्पराओं से जुड़े हुये कलाकार अधिकांशतया परम्परागत संगीत घरानों से शिक्षा प्राप्त करते हैं लेकिन इसी के साथ ग्रामीण अंचलों में प्रचलित लोक संगीत की परम्परा भी अत्यन्त समृद्ध है जिसके संरक्षण, संवर्धन एवं इन विधाओं से जुड़े हुये कलाकारों को मंच प्रदान कर उन्हें प्रोत्साहित करने की अत्यन्त आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में ऐसे कला साधकों की बहुतायत है लेकिन पहचान के अभाव में वह अधिकांशतया नेपथ्य में हैं। यह महत्त्वपूर्ण है कि उनकी कला प्रतिभा को सामने लाया जाये और उनकी कला सामर्थ्य में विकास के उपक्रम जुटाये जाये, जिससे कि
वह कला एवं संगीत की मुख्य धारा से जुड़कर प्रदेश एवं देश का मान बढ़ा सकें। 3. शास्त्रीय एवं लोक संगीत की उपर्युक्त पृष्ठभूमि में उत्तर प्रदेश के सभी अंचलों में ऐसे कलाकारों की पहचान कर उन्हें उनकी योग्यतानुसार मंच प्रदान कर उन्हें प्रोत्साहित एवं समृद्ध करने के उद्देश्य से ही संस्कृति विभाग, उ० प्र० द्वारा "उत्तर प्रदेश पर्व- हमारी संस्कृतिः हमारी पहचान"