प्रयागराज : परिषदीय स्कूल के बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक तरह-तरह के नवाचार कर रहे हैं। ऐसा ही नवाचार प्रयागराज के विकासखंड बहरिया के उच्च प्राथमिक विद्यालय बेरुई की सहायक अध्यापक दुर्गावती मिश्रा कर रहीं हैं। वह कविता में राज्यों का नाम पिरोकर बच्चों को रोचक तरीके से सिखा रही हैं। जब दर्जनों बच्चे एक स्वर में कविता पाठ करते हैं तो सभी नाम आसानी से याद होने लगते हैं।
इसके अलावा भी दुर्गावती कई नवाचार कर रही हैं। उदाहरण के तौर पर घड़ी के माध्यम से बच्चे कोण का ज्ञान आसानी से कर लेते हैं। जब उन्हें यह बताया गया की 12 घंटे के समय में प्रति घंटा 30 अंश का कोण बनता है तो बच्चे अपने आप कोण की अवधारणा को स्पष्ट करने लगे। स्कूल परिसर में पोषण वाटिका बनाते समय बच्चों को समूह में बैठाकर प्रत्येक समूह का नाम महान व्यक्तियों के नाम पर रखा गया और उनके बारे में पांच मुख्य बातें लिखवाई गई।
दुर्गावती के मुताबिक विद्यालय में छात्र-छात्राओं के अंदर किसी भी विषय के प्रति रुचि उत्पन्न करने के लिए विषय के अनुरूप छोटी-छोटी रोचक गतिविधियों का प्रयोग एवं परिवेश में उपलब्ध संसाधनों द्वारा निर्मित शून्य निवेश नवाचार की आवश्यकता होती है। नए नवाचारों के माध्यम से बच्चे किसी भी विषय को बहुत ही सरल एवं सहज ढंग से सीख लेते हैं तथा उनके अंदर अभिव्यक्ति की क्षमता का विकास होता है। बच्चे खेल-खेल में गणित व विज्ञान जैसे कठिन विषय को भी सरलता से समझ लेते हैं।
कविता की लाइनें कुछ यूं हैं
भारत में हैं अठ्ठाइस राज्य, नाम सहित हैं इनके साथ। राज्य राजधानी के संग हैं, सबके अपने-अपने ढंग हैं। कर्नाटक बंगलुरु बताओ, महाराष्ट्र मुंबई जाओ,। केरल तिरुअनन्तपुरम में है, सिक्कित गंगटोक में दम है। अरुणाचल प्रदेश शान, ईटानगर बढ़ाए मान। आंध्र प्रदेश है अमरावती, त्रिपुरा अगरतला है आती। नागालैंड कोहिमा जाओ, झारखंड में रांची पाओ। मध्य प्रदेश कहो भोपाल, मणिपुर में पाओ इंफाल...।