नई दिल्ली। अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि ईवीएम में दर्ज मतों को वोटर वेरिफियेबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) से मिलान के पैमाने को बढ़ाने से बिना किसी बड़े फायदे के भारतीय निर्वाचन आयोग का काम बढ़ जाएगा। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने ईवीएम में दर्ज सभी मतों को वीवीपैट से मिलान करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। संक्षिप्त सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने ईवीएम में दर्ज 100 फीसदी मतों को वीवीपैट से मिलान करने के बारे में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी की राय बताई।
त्रुटियां होने की आशंका न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि यह एक राय है और एक इसके विपरीत भी राय होगी। उन्होंने कहा कि इस तरह के व्यापक सत्यापन के कई नुकसान भी हैं। इससे बिना किसी बड़े फायदे के निर्वाचन आयोग का काम बढ़ जाएगा। दूसरा उम्मीदवार को गिनती के लिए अनुरोध करने की अनुमति देने का प्रावधान पहले से ही है।