लखनऊ : प्रदेश सरकार राजकीय एवं स्वैच्छिक संगठनों द्वारा संचालित बाल
गृह, संप्रेक्षण गृह व दत्तक ग्रहण इकाइयों में रहने वाले बच्चों का स्कूलों में दाखिला कराकर पढ़ाई करवाने जा रही है। यहां के शत-प्रतिशत बच्चों को हर हाल में शिक्षित करवाने के लिए कहा गया है। मंडलायुक्त, डीएम, मंडलीय उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारियों को उनके यहां के सभी गृहों की जांच कर वहां की व्यवस्थाएं देखने के निर्देश दिए गए हैं। लापरवाही मिलने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 19 अक्टूबर को एक जनहित याचिका में दिए गए गए आदेश में प्रदेश में संचालित बाल देखरेख संस्थाओं में व्याप्त कमियों को लेकर गंभीर टिप्पणी की थी। इसी के बाद महिला कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव वीना कुमारी ने सभी मंडलायुक्त, जिलाधिकारियों व मंडलीय उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारियों को सरकारी व स्वैच्छिक संस्थाओं द्वारा संचालित सभी गृहों की जांच करने के निर्देश दिए हैं। यहां बच्चों को मिल रहीं सुविधाएं, उनके विकास के लिए अनुकूल माहौल मिल रहा है या नहीं, इसे देखने के लिए कहा गया है। शासनादेश में यह भी कहा गया है कि जांच के दौरान यह भी देखा जाए कि इन गृहों में कितने बच्चे अभी शिक्षा से वंचित हैं और ये किस आयु वर्ग के हैं। सभी बच्चों का शत-प्रतिशत स्कूलों में नामांकन कराया जाए।