लखनऊ, । अनुदानित व राजकीय कॉलेजों के लिए बायोमीट्रिक अटेंडेंस सिस्टम (बीएएस) गले की फांस बनता जा रहा है। एक ओर प्रबंधन इसके लिए राजी नहीं है। दूसरी तरफ एडमिशन कम होने का भी भय है। ऐसा न करने पर उच्च शिक्षा निदेशक ने प्राचार्यों पर कार्रवाई का आदेश करने की चेतावनी दी है। वहीं शिक्षक संघ लुआक्टा ने मांग की कि पहले नियम एलयू और स्ववित्तपोषित कॉलेजों में लागू किया जाए।
उच्च शिक्षा निदेशक की ओर से आठ अगस्त को कॉलेजों में छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और कर्मचारियों की बायोमीट्रिक उपस्थिति के लिए आदेश दिया था। राजधानी के 20 अनुदानित, चार राजकीय कुछ कॉलेजों में बायोमीट्रिक अटेंडेंस सिस्टम को लगवाने की प्रक्रिया शुरू हुई। एपी सेन और कृष्णा देवी गर्ल्स डिग्री कॉलेज को छोड़कर अन्य किसी कॉलेज में पूर्णतया लागू नहीं हो सकी। इसके पीछे कारण अनुदानित कॉलेजों में प्रबंध समिति का खर्चा न उठाना, एड़मिशन कम होने का भय, सरकार की ओर से किसी तरह की आर्थिक मदद न होना समेत कई अन्य समस्याएं हैं। प्राचार्यों का कहना है कि बीएएस की एक मशीन लगभग 15 से 20 हजार रुपए की है। जिसमें एक हजार से 1500 लोगों का ही डाटा फीड किया जा सकता है। यानी अगर एक कॉलेज में दो हजार विद्यार्थी हैं तो कम से कम 10 से 20 मशीन लगवानी पड़ेगी। प्राचार्यों ने बताया कि प्रबंध समिति खर्चा उठाने में रुचि नहीं ले रहे हैं। वहीं अनुदानित कॉलेजों को सरकार से किसी भी तरह की आर्थिक मदद नहीं मिलती है।
● राजधानी के मात्र दो कॉलेजों में ही पूर्णतया लागू हो सका बायोमीट्रिक अटेंडेंस सिस्टम
मुख्य समस्याएं
● एडमिशन कम होने का खतरा
● प्रबंधन की बीएएस में रुचि नहीं
● बीएएस मशीन 15-20 हजार की
● आधार लिंक्ड वाली मशीन हो।
● सरकार से कॉलेजों को कोई आर्थिक मदद नहीं मिलती।
● इन कॉलेजों में प्रथम चरण पूरा कालीचरण, नवयुग, शिया और अवध गर्ल्स डिग्री कॉलेज में शिक्षकों, कर्मियों की बायोमीट्रिक अटेंडेंस शुरू हो पाई। केकेसी में दिंसबर से शुरू हो सकेगी।