नई दिल्ली। प्रदूषण के गंभीर हालात को देखते हुए दिल्ली सरकार ने दिसंबर में पड़ने वाला शीतकालीन अवकाश नवंबर में ही घोषित कर दिया है। सभी स्कूलों को 9 से 18 नवंबर तक बंद रखने का आदेश दिया गया है। इसी के साथ दूसरे राज्यों में पंजीकृत एप आधारित टैक्सियों के दिल्ली में प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई है। यही नहीं, 13 से 20 नवंबर के बीच घोषित सम-विषम योजना को भी अभी टाल दिया गया है।
राष्ट्रीय राजधानी में हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। बुधवार को धुंध के बीच कर्तव्य पथ पर टहलते लोग। एजेंसी
मौसम विभाग के मुताबिक, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद समेत एनसीआर के प्रमुख शहरों में अभी हवा जहरीली ही बनी रहेगी। निकट भविष्य में प्रतिकूल हालात से राहत मिलने वाली नहीं है। इसके अलावा पंजाब और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं पर भी रोक नहीं लग रही है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा, दिल्ली में सम-विषम फॉर्मूले के प्रभावों पर शीर्ष कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगी। इसके बाद ही सरकार इस पर कोई फैसला लेगी। दिल्ली शिक्षा निदेशालय की तरफ से जारी सर्कुलर में कहा गया है, शीतकालीन अवकाश को समय से पूर्व इसलिए किया गया है ताकि स्कूल पूरी तरह से बंद हो जाएं और बच्चे व शिक्षक दोनों घर रह सकें।
दिल्ली समेत कई शहरों में एक्यूआई 400 पार
दिल्ली-एनसीआर के कई शहरों में बुधवार शाम चार बजे एक्यूआई 400 को पार कर गया। दिल्ली में यह 426 दर्ज किया गया, जो
मंगलवार के इसी समय के 395 के मुकाबले अधिक है। ■ ग्रेटर नोएडा में एक्यूआई 478 रहा, जो अत्यधिक गंभीर श्रेणी में है। गाजियाबाद में 384 और नोएडा में 405 रिकॉर्ड किया गया वहीं, गुरुग्राम में 385 और फरीदाबाद में एक्यूआई 425 पर पहुंच गया
दिल्ली में 20-21 नवंबर को कृत्रिम वर्षा कराएगी सरकार
गोपाल राय ने कहा, प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए इस महीने कृत्रिम वर्षा का सहारा भी लिया जाएगा। आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों के साथ उनकी बैठक हुई है। वैज्ञानिकों का कहना है, वायुमंडल में बादल या नमी रहने पर ही कृत्रिम बारिश कराई जा सकती है।
विशेषज्ञों का अनुमान है, इस तरह की स्थिति 20-21 नवंबर के आसपास बन सकती है। उन्होंने कहा, हमने वैज्ञानिकों से इस संबंध में एक प्रस्ताव बनाने को कहा है, सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाएगा। ■ क्या है कृत्रिम वर्षा क्लाउड सीड्स को वैज्ञानिक तरीके से लैब में तैयार किया जाता है। सूखी बर्फ, नमक, सिल्वर आयोडाइड समेत कई और केमिकल मिलाए जाते हैं। फिर विमान से आकाश में फैलाया जाता है। इससे बारिश का वातावरण बनता है।
प्रदूषण 40 गुना तक ज्यादा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण के स्तर में कोई कमी नहीं आई है। प्रदूषण की गंभीरता को व्यक्त करने वाले पार्टिकुलेट मैटर यानी पीएम 2.5 की सांद्रता सरकारी मानकों के मुकाबले सात से आठ गुना और विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के मुकाबले 30 से 40 गुना ज्यादा बनी हुई है। पीएम हवा में मौजूद छोटे-छोटे प्रदूषणकारी कण होते हैं, जो नाक व मुंह के जरिये फेफड़ों में पहुंचकर स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं।
पराली का 38 फीसदी योगदान दिल्ली में पीएम प्रदूषण के स्त्रोत के बारे में जानकारी देने वाले डिसिजन सपोर्ट सिस्टम ने कहा है, राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण के लिए 38 फीसदी तक पड़ोसी राज्यों, खासकर पंजाब और हरियाणा में जल रही पराली जिम्मेदार है। बृहस्पतिवार को इसके 27 फीसदी पर आने की उम्मीद है।