16वें वित्त आयोग के लिए जरूरी शर्तों को मंजूरी



नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार देर रात हुई कैबिनेट की बैठक में 16वें वित्त आयोग के लिए जरूरी शर्तों (टर्म्स ऑफ रिफेरेंस) पर मुहर लगा दी गई है।


केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि 16वें वित्त आयोग को अक्तूबर 2025 तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी। इसकी सिफारिशें एक अप्रैल 2026 से 31 मार्च 2031 तक लागू रहेंगी। एक अप्रैल 2026 से शुरू हो रहे नए वित्त 2026-27 से 16वें वित्त आयोग की सिफारिशें लागू हो जाएंगी। 16वें वित्त आयोग के टर्म्स ऑफ रेफरेंस में केंद्र और राज्य सरकार के बीच करों से प्राप्त होने वाली राशि का विभाजन तय किया जाना है। राज्यों को दिए जाने वाले अनुदान का भी निर्धारण किया जाएगा। नगरपालिका और पंचायत की आय बढ़ाने को भी शर्तों में शामिल किया गया है। वित्त आयोग को अपनी सिफारिशों को सौंपने के लिए दो साल का समय दिया जाता है। एनके सिंह की अध्यक्षता वाली 15वें वित्त आयोग ने 14वें वित्त आयोग के समान कर से आय में 42 फीसदी राज्यों की हिस्सेदारी तय की थी, जिसे केंद्र सरकार ने स्वीकार भी कर लिया था।



वित्त वर्ष 2021-22 से लेकर 2025-26 के दौरान केंद्र सरकार द्वारा कर राजस्व में 42 फीसदी राज्यों दिए जाने का प्रावधान है। संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत स्थापित वित्त आयोग की जिम्मेदारियों में कर के राजस्व का विभाजन से लेकर केंद्र तथा राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन करना भी है। इसके अलावा, उनके बीच कर के बंटवारे की सिफारिश करना और राज्यों के बीच इन टैक्सों के वितरण का निर्धारण करने वाले सिद्धांतों को भी वित्त आयोग तय करता है।


केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यौन अपराधों से जुड़े मामलों में त्वरित न्याय देने के लिए फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों को अगले तीन साल तक जारी रखने को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट ने 1952.23 करोड़ रुपये के कोष के साथ इस योजना को तीन और वर्षों तक बढ़ाने की मंजूरी दी। इस योजना में केंद्र 1207.24 करोड़ रुपये देगा, वहीं राज्य 744.99 करोड़ देंगे। केंद्र सरकार की हिस्सेदारी निर्भया कोष से दी जाएगी।