लखनऊ,। शहीद पथ के पास स्थित पुलिस कन्ट्रोल रूम-112 मुख्यालय की सैकड़ों आउटसोर्सिंग महिला कर्मचारियों ने वेतन बढ़ाने और नियुक्ति पत्र तुरन्त देने की मांग करते हुये सोमवार दोपहर दो बजे काम बंद कर दिया। इससे सेवा बाधित होने लगी।
करीब चार बजे ये महिला कर्मचारी मुख्यालय के सामने सर्विस लेन में धरने पर बैठ र्गइं। एडीजी, डीसीपी व एडीसीपी ने समझाने का प्रयास किया लेकिन प्रदर्शन खत्म नहीं हुआ। देर रात तक 200 से अधिक महिला कर्मचारी मांगों पर अड़ी हुईं थीं। महिला कर्मियों ने पुलिस पर धक्का मुक्की का आरोप लगाते हुए कहा कि स्ट्रीट लाइट जानकर बंद करा दी गईं। कुछ कर्मचारी धरने में शामिल नहीं र्हुइं जिनके साथ महिला पुलिसकर्मियों ने काम संभाला। हालांकि सेवा रात तक सामान्य नहीं हो सकी थी।
पुलिस कन्ट्रोल रूम-112 मुख्यालय की सैकड़ों आउटसोर्सिंग महिला कर्मचारियों ने वेतन बढ़ाने और नियुक्ति पत्र तुरन्त देने की मांग को लेकर काम बंद कर दिया। प्रदर्शन में शामिल प्रियंका, दिव्या, पूजा समेत कई महिलाकर्मियों ने बताया कि करीब 650 लोगों को यूपी-112 में कम्युनिकेशन ऑफिसर के पद पर तैनाती दी गई थी। कन्ट्रोल रूम को मैन पॉवर उपलब्ध कराने का टेंडर टेक महिन्द्रा कम्पनी को दिया गया था। एक नवम्बर से दूसरी कम्पनी को टेंडर मिल गया है। ये कम्पनी उन लोगों को हटाकर दूसरी कर्मियों को तैनाती की तैयारी कर रही है। इस वजह से न तो इन्हें वेतन के बारे में बताया जा रहा है और न नियुक्ति पत्र दिया है। इन लोगों ने मुख्य तीन मांगे रखी। पहली मांग थी कि वेतन बढ़ाकर 18 हजार रुपये तुरन्त कर दिया जाये। नियुक्त पत्र दिया जाये और नियुक्ति स्थायी की जाये। प्रदर्शनकारी प्रियंका ने बताया कि नई कम्पनी ने नई भर्ती शुरू भी कर दी है। एडीजी अशोक कुमार, एएसपी हरेन्द्र ने कोशिश की पर ये लोग नहीं मानी। आरोप लगाया कि पुलिस अफसरों ने कहा कि बैठी रहो धरने पर। उनके पास और लोग है, काम के लिये...। कर्मियों ने कह दिया कि मांगे पूरी न होने तक धरना नहीं खत्म होगा।
शौचालय और बिजली बंद करने का आरोप
महिला कर्मचारियों का आरोप है कि कुछ कर्मियों को जबरदस्ती कन्ट्रोल रूम में रोक कर काम कराया जा रहा है। शौचालय, बिजली बंद कर दी गई है। वह अंधेरे में बैठी है। प्रदर्शनकारियों ने बताया कि वह तीन शिफ्ट में काम करती हैं। सुबह डयूटी पर कर आईं लड़कियां रात में धरने पर बैठ गईं। डीसीपी विनीत जायसवाल ने बताया कि महिलाओं ने धरना खत्म नहीं किया। एडीसीपी शशांक सिंह ने बताया कि महिला कर्मचारियों से धक्का मुक्की का आरोप गलत है। इन लोगों को मुख्य सड़क तक नहीं जाने दिया गया है। देर रात 200 से अधिक कर्मचारी बैठी रहीं।