सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में एक अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों और कर्मचारियों की न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) में निवेशित करोड़ों रुपये बगैर उनकी सहमति के निजी कंपनी में लगाने के अलावा 17 महीने से इन शिक्षकों का अंशदान उनके खाते में नहीं भेजा गया है। जिलेभर के ढाई हजार से अधिक शिक्षकों की 80 करोड़ रुपये से अधिक की राशि एनपीएस खाते में निवेशित नहीं होने से प्रत्येक शिक्षक को सालाना औसतन 30-35 हजार रुपये का नुकसान हो रहा है।
एडेड कॉलेज के प्रत्येक शिक्षक का वेतन औसतन 80-90 हजार रुपये प्रतिमाह है। इनके वेतन से एनपीएस खाते में हर महीने 10 प्रतिशत कटौती होती है जबकि इसका 14 प्रतिशत अंशदान सरकार देती है। दोनों राशि मिलाकर प्रत्येक शिक्षक की एक महीने में 22-23 हजार रुपये की कटौती होती है। ढाई हजार शिक्षकों और कर्मचारियों की औसतन 20 हजार प्रतिमाह एनपीएस कटौती मान ली जाए तो यह रकम हर महीने पांच करोड़ रुपये और 17 महीने की राशि 85 करोड़ होती है।
माध्यमिक शिक्षक संघ (ठकुराई गुट) के प्रदेश महामंत्री लालमणि द्विवेदी का कहना है कि शिक्षकों के वेतन से हर महीने एनपीएस कटौती हो रही है और सरकार की ओर से भी नियमित ग्रांट मिल रही है जिसे शिक्षकों के खाते में तुरंत निवेशित हो जाना चाहिए लेकिन प्रयागराज में 17 महीने से यह रकम खातों में नहीं पहुंची है। इस हिसाब से एक-एक शिक्षक के औसतन तीन से साढ़े लाख रुपये खाते में निवेशित नहीं हो सका है। एनपीएस खाते की औसत वृद्धि दर सालाना 10 प्रतिशत रही है। इस लिहाज से एक साल में 30 से 35 हजार और 17 महीने में 50 हजार रुपये तक का नुकसान हो चुका है क्योंकि रुपये निवेशित होते तो उसका लाभांश भी मिलता।
यदि शिक्षकों-कर्मचारियों की एनपीएस कटौती की राशि उनके खातों में निवेशित नहीं हो रही है तो यह घोर वित्तीय अनियमितता है। इस प्रकरण की जांच कराकर कठोर कार्रवाई की जाएगी। दिब्यकांत शुक्ल,
मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक
शिक्षकों-कर्मचारियों की एनपीएस कटौती हो रही है जो कि कोषागार में जमा भी हो रही है। महीनेवार धीरे-धीरे उनके प्रान खाते में राशि स्थानान्तरित की जा रही है।
पीएन सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक