जनपद संभल के शिक्षामित्र रजनेश कुमार ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब से उत्तर प्रदेश राज्य में रामराज्य का ढोल पीटने वाली योगी सरकार आयी है तब से योग्यता नाम की कोई कीमत उत्तर प्रदेश में नहीं रह गई है। क्योंकि 2000 से ही 23 वर्षों से गरीब मजबूर मजदूर किसान शोषित बचित पिछडे समाज के बच्चों को शिक्षित करने का काम शिक्षक शिक्षामित्र के रूप में कर रहा है।
ये सभी शिक्षामित्र स्नातक और बीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त तो है ही, साथ ही एन सी टी ई दिल्ली के मानक के अनुसार बीए बीटीसी यूपी टीईटी, सीटीईटी कई बार पास भी लगभग 60000 शिक्षामित्र वर्तमान में मौजूद है। लेकिन बाबजूद इसके रामराज्य वाली योगी सरकार ने 2017 से ही 23 सालों से शिक्षण कार्य कर रहे शिक्षामित्रों को अवैध तरीके से सहायक अध्यापक पद से हटाकर पुनः शिक्षामित्र बना दिया और वेतन 40000 से घटाकर 100005. कर दिया।
अब तक लगभग 11000 शिक्षामित्र इस अवसाद में मर गये कि रामराज्य वाली योगी सरकार ने और स्वयं मोदी जी ने सरकार बनने से पहले संकल्प पत्र मे झूठा वादा किया और मोदी जी भी वाराणसी के वीरेका मैदान में सरकार बनवाने का लालच देकर झूठा वादा कर गये? सरकार बनने के बाद ठीक उल्टा कर दिया आखिरकार क्यों शिक्षामित्र को योग्य होने के बावजूद फुटबाल बना दिया गया? लेकिन 2017 में रामराज्य आने के बाद 40000 से घटाकर तो 10000 कर दिया लेकिन वह भी इतनी कमर तोड महंगाई में तीन तीन महीने अल्प मानदेय भी न देना रामराज्य वाली सरकार के दावों की पोल खोल देता है।
इस मंहगाई मे शिक्षामित्र कैसे परिवार चला रहे हैं ये तो एक शिक्षामित्र ही समझ सकता है क्योंकि इस रामराज्य वाली योगी सरकार में अपना पूरा जीवन देने वाले शिक्षामित्र अपनी बेटियों के हाथ पीले भी शिक्षामित्र साथियों से 201 के चंदा का सहयोग लेकर कर रहे है बीमारी के इलाज में चाहे स्वंय हो या बूढे माँ-बाप चंदा के सहयोग से इलाज कराने को मजबूर हैं। शिक्षामित्र सरकार से उम्मीद लगाये बैठे हैं और 2017 से ही अनेक प्रकार से अनुनय विनय कर रहे हैं लेकिन रामराज्य वाली योगी सरकार बिल्कुल गूँगी बहरी होने के साथ अतिसंवेदनहीन हो गई है।
11000 मौतों पर भी अब तक भी खामोश है। वैसे योगी जी का ये बयान भी काफी चर्चित रहा था कि सपा के काले कारनामों की सजा भुगत रहे है शिक्षामित्र तो क्या अब इस रामराज्य वाली सरकार में लोकतंत्र का कोई मूल्य नहीं रह गया ? क्या इन्हीं विचारो से ग्रसित होकर ही शिक्षामित्रों के साथ 2017 से अत्याचार किया जा रहा है? क्या शिक्षक की योग्यता एनसीटीई के मानकानुसार बीए बीटीसी टेट नहीं है? तो रामराज्य वाली योगी सरकार बीए बीटीसी (दो वर्षीय) सीटीईटी यूपी टीईटी कई बार पास 23 वर्ष से शिक्षण कार्य अनुभव शिक्षामित्र के पास होने के बाद भी मात्र 10000. देकर मरने के लिये मजबूर नहीं कर रही है?
11000 मौतों के बाद भी रामराज्य वाली योगी सरकार कब तक रोज ऐसे ही शिक्षामित्रों को भारती रहेगी? क्या शिक्षामित्र आत्महत्या करने से पहले सरकार पर आरोप लगाते हुए सुसाइड नोट नहीं छोड़ते हैं? जब शिक्षामित्र के चयन से लेकर अब तक भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस की सरकारें भी बराबर की जिम्मेदार नहीं? अगर हो तो फिर शिक्षामित्र को ही सजा क्यों? सवाल अनगिनत है. उपरोक्त उद्गार जनपद संभल के शिक्षा मित्र रजनेश कुमार है।