बेसिक शिक्षा विभाग की छवि को धूमिल कर रहे बीईओ


सीतापुर : बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) शिक्षकों के निशाने पर हैं। इसका कारण बीईओ की कार्यशैली है। बीईओ पर शिक्षकों के साथ अभद्रता, वसूली के लिए प्रताड़ित करने के आरोप, बाल्य देखभाल व चिकित्सकीय अवकाश बिना सुविधा शुल्क लिए अग्रसारित न करने के आरोप आम हो चुके हैं। अक्सर विद्यालय में समय से पूर्व व बाद में बीईओ के पहुंचने व परेशान करने के आरोप शिक्षकों ने लगाए हैं। पिछले दिनों इन आरोपों के साथ शिक्षकों ने पहला बीआरसी में धरना और प्रदर्शन आयोजित किया था।


केस एक

16 अक्टूबर | को पहला ब्लाक के शिक्षकों ने बीआरसी पर प्रदर्शन किया। बीईओ दीपेश कुमार पर आरोप लगाया कि वह शिक्षकों से अभद्रता करते हैं। समय से पूर्व व बाद में विद्यालयों की जांच कर कार्रवाई करने की धमकी देकर अवैध उगाही का दबाव बनाते हैं। इतना ही नहीं बाल्य देखभाल और चिकित्सीय अवकाश बिना सुविधा शुल्क वसूल किए अग्रसारित नहीं करते। यह भी आरोप है कि शिक्षक संगठन से शिकायत करने पर संबंधित शिक्षक के विद्यालय की जांच कर कार्रवाई की धमकी देते हैं।

रेउसा प्रकरण की जांच चल रही है। रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लेंगे। सिधौली में आरोप सही पाए जाने पर बीईओ को हटाया था। पहला में शिक्षक संगठन के बड़ी संख्या में बैनर लगे थे, उनको हटाने के निर्देश दिए थे। संगठन ने साजिशन दबाव बनाने के लिए बीईओ के खिलाफ प्रदर्शन किया है। साजिश करने वाले शिक्षक नेताओं को चिह्नित कर कार्रवाई करेंगे। •अखिलेश प्रताप सिंह, बीएसए

विद्यालय निरीक्षण, वाल्य देखभाल व चिकित्सकीय अवकाश के लिए धन की उगाही करने का आरोप

रेउसा मँ

केस दो | बीईओ रामजनक वर्मा के सीयूजी नंबर से 22 सितंबर की रात नौ बजे एक शिक्षिका के मोबाइल पर अश्लील फोटो और संदेश भेजा गया। शिक्षिका ने बीएसए से शिकायत की तब एक आरोपित शिक्षक को निलंबित किया गया। बीईओ ने बचाव में कहा कि शिक्षक को विभागीय कार्य से बुलाया था मोबाइल पर जानकारी लेते समय उसने संदेश भेजा। शिक्षक व बीईओ की भूमिका की जांच चल रही है। बीईओ की भूमिका संदिग्ध है।


केस तीन

| 25 जुलाई को

| सिधौली बीआरसी में शिक्षकों की बैठक थी । बीईओ सुरेंद्र प्रताप सिंह ने प्राथमिक शिक्षक संघ की स्थानीय इकाई के अध्यक्ष उमेश यादव से अभद्रता कर बैठक से निकाल दिया। आक्रोशित शिक्षकों ने बैठक कर बहिष्कार कर विरोध प्रदर्शन किया। मामले की बीएसए से शिकायत की गई। इसी क्रम में उसी दिन देर शाम बीएसए की संस्तुति पर बीईओ को सिधौली से हटाकर सीतापुर से संबद्ध कर दिया गया था।

अधिकारी शिक्षकों को सम्मान देना नहीं चाहते। 1980 की बात है। एबीएसए विद्यालय आते थे तो शिक्षक जब कुर्सी पर बैठ जाता था तब वह बैठते थे। अब अधिकारी शिक्षकों को हेय दृष्टि से देखते हैं। विद्यालय व छात्र हित दूर की बात बीईओ वसूली में लगे रहते हैं। शिक्षकों का सम्मान गिरा है। इसमें सरकार भी दोषी है। -राज किशोर सिंह, पूर्व अध्यक्ष – प्राथमिक शिक्षक संघ