प्रयागराज । प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त अनुदानित महाविद्यालयों में स्ववित्तपोषित योजना के तहत संचालित पाठ्यक्रमों के शिक्षकों को विनियमित किए जाने की तैयारी चल रही है। उच्च शिक्षा निदेशालय ने सभी क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों से ऐसे शिक्षकों का विवरण मांगा है।
प्रदेश में 331 अशासकीय सहायता प्राप्त अनुदानित महाविद्यालय हैं। इन महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के नियमित पद पर चयन उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग के माध्यम से होता रहा है। इनमें कई ऐसे महाविद्यालय भी हैं, जहां स्ववित्तपोषित योजना के तहत पाठ्यक्रमों का संचालन किया जाता है और इन पाठ्यक्रमों के लिए शिक्षकों की नियुक्ति प्रबंधन करता है।
नियमित शिक्षकों और प्रबंधन के माध्यम से नियुक्त शिक्षकों के वेतन में काफी अंतर है। नियमित शिक्षकों को अधिक वेतन मिलता है स्ववित्तपोषित शिक्षक काफी समय से मांग कर रहे हैं कि उनका विनियमितीकरण किया जाए और उन्हें नियमित शिक्षकों के समान वेतन का भुगतान किया जाएगा। इसके लिए कई बार प्रयास किए गए, लेकिन स्ववित्तपोषित शिक्षकों को राहत नहीं मिली।
एक बार फिर ऐसे शिक्षकों को राहत देने की कवायद शुरू हुई है और इसी के तहत उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से क्षेत्रीय उच्च शिक्षा की ओर से क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर ऐसे शिक्षकों का विवरण मांगा गया है। निदेशालय ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद की विनियमन समीक्षा समिति की पिछले दिनों हुई बैठक का हवाला देते हुए शिक्षकों का विवरण मांगा है.
उच्च शिक्षा के संयुक्त निदेशक डॉ. केसी वर्मा की ओर से जारी पत्र के अनुसार क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों को इसी हफ्ते प्रदेश के 331 अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में स्ववित्तपोषित योजना के तहत संचालित संकायों एवं उनके विश्वविद्यालय से अनुमोदन के उपरांत कार्यरत शिक्षकों की संख्या के बारे में सूचना उपलब्ध करानी है। इसके तहत महाविद्यालय का नाम, स्ववित्तपोषित योजना के तहत संचालित संकाय का नाम, विश्वविद्यालय से अनुमोदित शिक्षकों की संख्या के बारे में सूचना देनी है.