उत्तर प्रदेश के मदरसों को मिले विदेशी चंदे के दुरुपयोग की जांच के लिए गठित एसआईटी की पहली बैठक बुधवार को होने की संभावना है। बैठक में जांच का दायरा तय करने पर भी विचार होगा। माना जा रहा है कि सबसे पहले मदरसों को नोटिस भेजकर विदेशी चंदे का हिसाब मांगा जाएगा।
आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के एडीजी मोहित अग्रवाल की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय एसआईटी में एसपी साइबर क्राइम डॉ. त्रिवेणी सिंह व निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण जे. रीभा को शामिल किया गया है। इससे पहले अल्पसंख्यक कल्याण विभाग मदरसों की जांच कर चुका है। एसआईटी की पहली बैठक में विभागीय जांच रिपोर्ट पर भी चर्चा होने की संभावना है। विदेशी चंदे से देश विरोधी व धर्मांतरण जैसी गैरकानूनी गतिविधियों को बढ़ावा दिए जाने की जानकारी मिलने के बाद एसआईटी का गठन किया गया है। एसआईटी सभी मदरसों को नोटिस देकर विदेशी मुद्रा अर्जक खातों (ईईएफसी) में हुए लेन-देन की जानकारी लेने के बाद उन मदरसों को सूचीबद्ध किया जाएगा, जिन्हें विदेशों से रकम प्राप्त हुई है। इसके बाद इस बात की जांच होगी कि किन-किन देशों से यह रकम भेजी गई है।
लखनऊ, विशेष संवाददाता। प्रदेश में पिछले साल मदरसों की मान्यता, उनके आर्थिक स्रोत आदि के बारे में सर्वे करवाया गया था, जिसकी रिपोर्ट रविवार तक सार्वजनिक नहीं हो सकी है। इस लेटलतीफी को लेकर उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डा. इफ्तेखार जावेद खासे नाराज हैं।
रविवार को हिन्दुस्तान से बातचीत में उन्होंने कहा कि उक्त सर्वे को हुए 11 महीने गुजर चुके हैं और अभी तक शासन स्तर पर इस सर्वे की समीक्षा ही हो रही है। सर्वे में 8,449 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त मिले हैं। चेयरमैन का कहना है कि इन साढ़े आठ हजार मदरसों के 7.5 लाख बच्चों का भविष्य अधर में है। सोचा यह गया था कि सर्वे रिपोर्ट आने के बाद इन गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में से मानकों को पूरा करने वाले मदरसों को मान्यता दी जाएगी ताकि इन मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाई के बाद जो प्रमाण पत्र जारी हो उससे उनका भला हो सके। उन्होंने कहा प्रदेश में 560 अनुदानित और 16 हजार से कुछ अधिक मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। अगर इन साढ़े आठ हजार मदरसों को जोड़ दिया जाए तो मदरसों की कुल तादाद 25 हजार के आसपास बैठती है। जहां तक मदरसों की फण्डिंग का सवाल है तो इस बारे में मदारिस-ए-अरबिया के महासचिव वहीदुल्लाह खान ने कहा कि पहले भी नेपाल की तराई से सटे जिलों में मदरसों की फण्डिंग की जांच करवाई जा चुकी है, मगर कुछ गलत नहीं निकला।