बस्ती, । पांच अक्टूबर को विश्व शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व शिक्षक दिवस की थीम ‘शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए वैश्विक बात करें तो प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षक संस्थानों में शिक्षकों की रहे हैं। दरकार है। प्राथमिक व उच्च प्राथमिक के कई स्कूल ऐसे भी हैं,
‘अनिवार्यता’ रखा गया है। जिले की जहां छात्र संख्या कम होने के बाद भी आवश्कता से अधिक शिक्षक तैनात हैं, तो दूसरी तरफ करीब डेढ़ दर्जन स्कूल एकल शिक्षक के भरोसे चल शिक्षण कार्य बेहतर ढंग से संचालित करने के लिए मानक के अनुरूप शिक्षकों की तैनाती जरूरी है। बेसिक शिक्षा की बात करें तो यहाँ मानक चल रहा है। छात्र संख्या 150 होने पर एक हेडमास्टर की पोस्ट बढ़ जाती है। प्राइमरी में कक्षा एक से पांच तक व उच्च प्राइमरी में कक्षा छह से आठ तक के बच्चे पढ़ते हैं। इस
लिहाज से प्रत्येक कक्षा में एक-एक जिम्मे सभी कक्षाओं के शिक्षण का 30 छात्र संख्या पर एक शिक्षक का अध्यापक होने चाहिए। लेकिन छात्र जिम्मा होता है। विभाग के अनुसार संख्या के आधार पर शिक्षकों की तैनाती के चलते एक साथ दो या तीन कक्षाओं के बच्चों को बैठाकर शिक्षकों को पढ़ाना पढ़ता है। एकल विद्यालयों में तो एक अध्यापक के आवश्कता है। जिले के 2074 परिषदीय स्कूलों में लगभग 4600 सहायक अध्यापक कार्यरत हैं। इन स्कूलों में करीब 1400 सहायक अध्यापकों की
माध्यमिक में 600 अध्यापकों की है जरूरत
माध्यमिक शिक्षा के स्कूलों में तकरीबन 600 अध्यापकों की आवश्यकता है। डीआईओएस कार्यालय के अनुसार जिले में कुल 23 राजकीय इंटर कॉलेज स्थित हैं। इनमें शिक्षकों की तैनाती संतोषजनक हैं। जबकि सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों की संख्या जिले में 70 हैं। यहां शिक्षकों के करीब 600 पद रिक्त चल रहे हैं।
अर्थशास्त्र, इतिहास, समाजशास्त्र के प्रवक्ता नहीं
शहर में स्थित तीन परास्नातक कॉलेजों की बात करें तो यहाँ भी प्रवक्ताओं की कमी है। एपीएनपीजी कॉलेज में मौजूदा समय में शारीरिक शिक्षा, भूगोल, अर्थशास्त्र, संस्कृत और समाजशास्त्र विषय के प्रवक्ता का पद रिक्त है। इसी तरह शिवहर्ष किसान पीजी इतिहास और समाजशास्त्र विषय के प्रवक्ता नहीं हैं। वहीं महिला पीजी कॉलेज में सिर्फ अर्थशास्त्र विषय के प्रवक्ता का पद रिक्त चल रहा है।