TRANSFER MATTER ~ अंतर्जनपदीय स्थानान्तरण पॉलिसी:-पॉलिसी के मुख्य आधार बिंदु निम्नवत हैं✍️ हिमांशु


TRANSFER MATTER ~


अंतर्जनपदीय स्थानान्तरण पॉलिसी:-
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा अधिनियम की धारा 19(1) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग कर उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (शिक्षक)(तैनाती) नियमावली 2008 बनाई गई और अंतर्जनपदीय स्थानान्तरण पॉलिसी को लागू किया गया साथ ही 1981 टीचर सर्विस रूल्स की धारा 21में स्थानांतरण नीति को लागू करने की व्यवस्था की गई।

पॉलिसी के मुख्य आधार बिंदु निम्नवत हैं:-
* अंतर्जनपदीय स्थानान्तरण पॉलिसी में कार्यरत शिक्षक अपने पूरे सेवाकाल में केवल एक बार ही लाभ ले सकेगा।
* विशेष परिस्थितियों में ( दिव्या गोस्वामी के मामले में न्यायालय द्वारा पारित निर्णय के आलोक में) दुबारा भी लाभ मिल सकेगा।
* सेवा शर्तें महिलाओं के लिए न्यूनतम 2 वर्ष तथा पुरूष शिक्षकों के लिए 5 वर्ष की न्यूनतम सेवा अनिवार्य होनी चाहिए।
* असाध्य रोग से पीड़ित रोगी/ पति/ पत्नी के राज्य/केंद्र सरकार में होने पर /महिला आदि के लिए भारांक निर्धारित किया गया ।

अब आते है वर्तमान सत्र में हो रहे अंतर्जनपदीय स्थानान्तरण से संबंधित मुख्य मुद्दे पर : -
स्वीकृत /कार्यरत शिक्षकों का 10% ही स्थानांतरण किया जाएगा ऐसा सरकार द्वारा कहा गया किंतु पूरे पश्चिम उत्तर प्रदेश व लखनऊ कानपुर जैसे जिलों में पद शून्य कर दिए गए , तो इन जनपदों के शिक्षकों को अपने घर जाने का अवसर कैसे मिलेगा?
निर्णय मनमाना और बिना जनपद के बीएसए कार्यालय से पदों की संख्या लिए ही लिया था इसलिए जब मामला न्यायालय में गया तो सरकार का वही पुराना राग हमनें मानव संपदा पोर्टल पर उपलब्ध डेटा को एनआईसी वाले कंप्यूटर की सहायता ली थी इसलिए अगर कल को कुछ उल्टा तीर चला तो 68500 और 69000 की सूचियों की तरह सब एनआईसी की गलती है कह कर पल्ला झाड़ते निकल लेंगे , लेकिन इस बार बीएसए कार्यालय से जो जनसूचना व विभागीय अधिकारियों को (COUNTER में ये बात कह रहे हैं) प्रमोशन मामले में पदों की संख्या दी गई है वह अपने बड़े साहब के आंकड़ों के विपरीत है, तो साहेब ने अपने जवाब में कहा की बीएसए कार्यालय की सूचना गलत है इन पर कार्यवाही की जाएगी।

खैर मामला न्यायालय में है जो भी आदेश आएगा अनुपालन सुनिश्चित करना इनकी मजबूरी होगी।
अब न्यायालय में कौन लोग गए हैं और किसको लाभ मिलता दिख रहा:-
1. जिन्होंने अपने जनपद में शून्य पद होने के कारण आवेदन करने से वंचित रह रहे और न्यायालय की शरण ली।
2. जिन्होंने अपने जनपद में शून्य पद होने के कारण पास के जनपद में प्रोटेस्ट करते हुए स्थानांतरण लिया , अतः ऐसे लोग का लोकस भी हर प्रकार से मजबूत है और उन्हें न्यायालय से राहत मिलेगी ।


इसलिए ऐसे लोग जो अपने जनपद में शून्य पद होने के कारण घर नहीं जा सके और पास के जनपद में स्थानांतरण ले लिया वह न्यायालय में प्रोटेस्ट अवश्य करें कि स्थानांतरण पूरे सेवाकाल में एक बार मिलेगा और राज्य सरकार के अधिकारियों की गलती से पद शून्य हो गए और हम अपने घर कभी नहीं जा पाएंगे इसलिए हमारा लोकस भी उन्ही याचिकाकर्ताओं की तरह मजबूत है जिन्होंने आवेदन ही न किया।

HIMANSHU RANA
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