यूपी के 3049 सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में बाबुओं और चपरासियों की नियुक्ति अब संविदा पर होगी। शिक्षा निदेशालय ने आउटसोर्स और संविदा पर भर्ती के लिए प्रस्ताव भेजकर शासन से अनुमति मांगी थी। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री से हरी झंडी मिलने के बाद संविदा नियुक्ति पर पड़ने वाले खर्च और आवश्यक मानव संसाधन आदि का आगणन तैयार कर भेजा जा रहा है। इन स्कूलों में 1988 के पहले तक लिपिक के एक और चपरासी के तीन पद हुआ करते थे। 500 से अधिक छात्र होने पर दो लिपिकों की नियुक्ति का नियम था। 1988 के बाद चपरासी का पद घटाकर एक कर दिया गया।
2018 में लिपिक और बाबू का पद ही समाप्त कर दिया गया। उसके बाद सेवानिवृत्ति के कारण कई स्कूलों में एक भी बाबू और चपरासी नहीं रह गए। ऐसे में स्कूल संचालन मुश्किल हो गया। उत्तर प्रदेश सीनियर बेसिक शिक्षक संघ मंडलीय अध्यक्ष नंदलाल त्रिपाठी ने बताया, मानक के अनुरूप लिपिक और अनुचर की नियुक्ति होना आवश्यक है। 2018 के बाद से तमाम स्कूलों में अनुचर और लिपिक नहीं है। इनके बिना स्कूल संचालन में असुविधा हो रही है।
कानूनी विवाद में उलझी प्रधानाध्यापकों-शिक्षकों की भर्ती
प्रदेश के सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में प्रधानाध्यापकों व सहायक अध्यापकों के 1894 पदों पर भर्ती भी कानूनी विवाद में उलझी है। हाईकोर्ट के आदेश पर दो साल पहले यह भर्ती शुरू हुई थी। 17 अक्तूबर 2021 को भर्ती के लिए लिखित परीक्षा आयोजित की गई। 15 नवंबर 2021 को घोषित परिणाम हाईकोर्ट के आदेश पर छह सितंबर 2022 को संशोधित किया गया। उसके बाद फिर कुछ अभ्यर्थियों ने याचिकाएं कर दी जो हाईकोर्ट में विचाराधीन हैं।