अवकाश सरलीकरण के नाम पर शिक्षिकाओं के साथ हो गया धोखा, नियम हुए सख्त


बेसिक शिक्षा विभाग ने महिला शिक्षिकाओं को संतान की देखभाल करने के लिए चाइल्ड केयर लीव के तहत 730 दिन की छुट्टी लेने का प्रावधान तो कर दिया है लेकिन इसकी नियम शर्तों ने उनकी मुसीबत बढ़ा दी है।



अमन यात्रा। बेसिक शिक्षा विभाग ने महिला शिक्षिकाओं को संतान की देखभाल करने के लिए चाइल्ड केयर लीव के तहत 730 दिन की छुट्टी लेने का प्रावधान तो कर दिया है लेकिन इसकी नियम शर्तों ने उनकी मुसीबत बढ़ा दी है। इस प्रक्रिया में विभागीय अफसरों ने कुछ ऐसे पेंच फंसा दिए हैं कि ज्यादा से ज्यादा शिक्षिकाए अवकाश की मांग ही नहीं करेंगी।

समस्त सहायक अध्यापिकाओं को रिपोर्टिंग ऑफिसर हेड टीचर (प्रधानाध्यापक) को बनाना होगा। हेड टीचर फिर खंड शिक्षा अधिकारी को फॉरवर्ड करें तत्पश्चात खंड शिक्षा अधिकारी बीएसए कार्यालय को फॉरवर्ड करेंगे फिर इस पर बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा नियमानुसार निर्णय लिया जाएगा। जिन विद्यालयों में हेड टीचर नहीं है और सहायक अध्यापक इंचार्ज के पद पर कार्यरत हैं तो ऐसी स्थिति में इंचार्ज अध्यापक संलग्न डॉक्यूमेंट में इस बात को मेंशन करेगा की वह इंचार्ज अध्यापक पद पर कार्यरत हैं।

महिला अध्यापकों को एक कैलेंडर वर्ष यानी एक साल में 3 बार ही अवकाश लेने की पात्रता होगी। यदि चाइल्ड केयर लीव के तहत आवेदन दिया और 10 दिन का अवकाश भी लिया तो उसे भी गिना जाएगा फिर इसके बाद अध्यापकों को सिर्फ दो बार आवेदन करने की पात्रता होगी।शिक्षिकाओं को बाल्य देखभाल अवकाश एक बार में सामान्यतया अधिकतम 30 दिनों के लिए दिया जाएगा।

इसके अलावा चुनाव, आपदा, जनगणना, बोर्ड परीक्षा ड्यूटी अथवा विद्यालयी परीक्षाओं की अवधि व उससे 5 दिवस पूर्व की तिथियों के लिए प्राप्त बाल्य देखभाल अवकाश प्रकरणों को खंड शिक्षा अधिकारी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा निस्तारित किया जाएगा। यदि 2 से ज्यादा जीवित संतान हैं तो अध्यापिकाओं को अवकाश नहीं मिलेगा। योजना के तहत दो जीवित संतान होने पर ही अवकाश की पात्रता होगी। अध्यापिकाएं संतान की 18 वर्ष की उम्र होने तक ही अवकाश ले सकेंगी। चाइल्ड केयर लीव का आवेदन यदि प्रधानाध्यापक नामंजूर कर दे तो फिर शिक्षिका को यह छुट्टियां नहीं मिलेंगी। यदि स्कूल की दो महिला टीचर यह छुट्टी लेना चाहें तो फिर यह प्रधानाध्यापक के हाथों में ही होगा कि वह छुट्टी के लिए किसे मंजूरी देता है इसलिए छुट्टी के लिए शिक्षिकाएं बहुत हद तक प्रधानाध्यापक पर ही निर्भर रहेंगी। प्रधानाध्यापक यदि खंड शिक्षा अधिकारी को आवेदन पत्र फॉरवर्ड नहीं करेगा तो सीसीएल अवकाश स्वीकृत नहीं हो सकता है। हालांकि सभी प्रकार के अवकाशों के लिए स्टाम्प पेपर पर शपथ पत्र दिए जाने की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है। वैसे तो सीसीएल अवकाश देने से किसी को मना नहीं किया जा सकता है, मगर कुछ अध्यापिकाएं छुट्टी का कोटा पूरा करने के लिए सीसीएल अवकाश का आवेदन करती हैं जोकि गलत है।


प्राय: देखा जाता है कि जल्दबाजी में अधिकांश शिक्षक सीसीएल अवकाश लेने के चक्कर में चिकित्सा का परामर्श पत्र नहीं लगते हैं और बिना चिकित्सकीय प्रमाण पत्र के अवकाश स्वीकृत नहीं किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त अगर शिक्षिकाएं बच्चों की बोर्ड एग्जाम हेतु सीसीएल अवकाश के लिए आवेदन करती हैं तो उसकी स्कीम (परीक्षा समय सारणी) का लगाया जाना अनिवार्य है।

बेसिक शिक्षा अधिकारी रिद्धी पाण्डेय का कहना है नियमानुसार प्रक्रिया के तहत आवेदन करने वालीं शिक्षिकाओं के आवेदन पत्रों पर ही विचार किया जाएगा अपूर्ण होने की स्थिति में किसी भी प्रकार के अवकाश स्वीकृत नहीं किए जाएंगे।