नई दिल्ली, भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि नए मतदाता सूची के प्रमाणीकरण के लिए आधार का विवरण आवश्यक नहीं है।
निर्वाचन आयोग ने शीर्ष अदालत को भरोसा दिया कि वह इसके लिए फॉर्म-6, 6-बी में उचित स्पष्टीकरण परिवर्तन जारी करेगा। फार्म-6 नए मतदाता पहचान पत्र बनाने के लिए है और फार्म-6बी आधार से लिंक करने के लिए है।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यामयूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष निर्वाचन आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुकुमार पट्टजोशी ने यह जानकारी दी है। पट्टजोशी ने पीठ को बताया, मतदाता पंजीकरण (संशोधन) नियम 2022 के नियम 26-बी के तहत आधार नंबर जमा करना अनिवार्य नहीं है, इसलिए आयोग मतदाता प्रमाणीकरण के लिए जारी आवेदन में बदलाव के लिए उचित स्पष्टीकरण जारी करने पर विचार कर रहा है।
वरिष्ठ अधिवक्ता पट्टजोशी ने शीर्ष अदालत को बताया कि अब तक 66 करोड़ 23 लाख मतदाताओं ने अपने मतदाता पहचानपत्र के प्रमाणीकरण के लिए आधार कार्ड अपलोड किया है।
जी. निरंजन की ओर से अधिवक्ता नरेंद्र राव थानेर और श्रवण कुमार कर्णम द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग ने शीर्ष अदालत में यह जानकारी दी है। इसके बाद कोर्ट ने इस याचिका का निपटारा कर दिया।
निजी सूचना से निजता के अधिकार का उल्लंघन संभव
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि दाखिले के लिए आधार अनिवार्य नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा एवं न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने कहा कि किसी बच्चे की संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी लेने से निजता के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार के उन परिपत्रों के निलंबन को बरकरार रखा, जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, वंचित समूह और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों श्रेणियों के तहत निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में प्रवेश के लिए आधार को अनिवार्य करते हैं।