प्रयागराज । बीएड अभ्यर्थियों को दोहरा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें प्राइमरी शिक्षक भर्ती से बाहर कर दिया है। वहीं, अशासकीय और राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में भी साल भर से अधिक समय से शिक्षक भर्ती फंसी हुई है।
प्राइमरी शिक्षक भर्ती से बाहर किए जाने पर बीएड अभ्यर्थियों को तगड़ा झटका लगा है, क्योंकि प्राइमरी में ही शिक्षकों के सबसे अधिक पदों पर भर्ती निकलती है। पिछली बार वर्ष 2018 में 69 हजार पदों पर शिक्षक भर्ती निकली थी।
प्राइमरी से बाहर किए जाने पर बीएड अभ्यर्थियों को अब माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षक भर्ती से उम्मीद रह गई है, लेकिन माध्यमिक विद्यालयों में भी एक साल से भर्ती फंसी हुई है।
राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती में बीएड की अर्हता मांगी जाती है। वहीं, अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक (टीजीटी) के पदों पर भर्ती के लिए बीएड की अर्हता अनिवार्य है, जबकि अशासकीय विद्यालयों में प्रवक्ता (पीजीटी) भर्ती में बीएड अभ्यर्थियों को पांच अंकों का अधिभार मिलता है। ये सभी भर्तियां एक साल से अधिक समय से फंसी हुई हैं।
अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में भर्ती की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के पास है। बोर्ड ने पिछले साल टीजीटी-पीजीटी के 4163 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था और अगस्त 2022 में आवेदन की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है, लेकिन बोर्ड में अब न तो अध्यक्ष हैं और न ही कोई सदस्य अब तक परीक्षा तिथि घोषित नहीं हो सकी है और यह भर्ती अब नए शिक्षा सेवा चयन आयोग को करनी है।
भर्ती के लिए 13 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किए हैं, जिन्हें अब नए आयोग का गठन होने तक भर्ती के लिए इंतजार करना पड़ेगा। वहीं, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को एलटी ग्रेड शिक्षकों के छह हजार से अधिक पदों का अधियाचन मिल चुका है। अधियाचन मिले एक साल बीत चुका है, लेकिन समकक्ष अर्हता स्पष्ट न होने के कारण यह भर्ती भी फंसी हुई है। ब्यूरो