फिर टूट गई बीएड प्रशिक्षितों की आस

 देहरादून, बेसिक शिक्षक भर्ती में यह दूसरा मौका है जब बीएड डिग्री वालों को झटका लगा है। इससे पहले वर्ष 2010 में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षक परिषद (एनसीटीई) ने बीएड को बेसिक शिक्षक की पात्रता से हटा दिया था। इसके बाद बीएड प्रशिक्षित बेरोजगारों के लंबे आंदोलन के बाद 2018 में एनसीटीई ने बीएड को दोबारा रियायत दे दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने से बीएड प्रशिक्षित एक बार फिर से गहरी चिंता में हैं।



बीएड प्रशिक्षित बेरोजगार महासंघ के प्रवक्ता अरविंद राणा कहते हैं कि इस फैसले से सभी बीएड बेरोजगार असमंजस में हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से तो एक तरह से एनसीटीई की 2018 की अधिसूचना पर ही सवाल उठ गया है। 2018 में बीएड टीईटी की रियायत मिलने के बाद से उत्तराखंड में बेसिक शिक्षकों की चार भर्तियां हो चुकी हैं। चौथी भर्ती अभी गतिमान है, जिसमें 800 पदों पर नियुक्तियां होनी हैं।



राणा ने कहा कि अभी तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं है। सभी बेरोजगार सुप्रीम कोर्ट के आदेश की सत्यापित कापी का इंतजार कर रहे हैं। बहरहाल, सरकार को चाहिए कि राज्य के बेरोजगारों के हितों पर आंच न आने दे। राज्य में 2019 में सेवा नियमावली संशोधित की जा चुकी है। सरकार को 2018 की सभी भर्तियों में बीएड टीईटी को मान्य रखते हुए भविष्य के लिए यही व्यवस्था बहाल रखने का प्रयास करना चाहिए।


मालूम हो राज्य में बीएड प्रशिक्षितों की संख्या 85,574 है। ये वो बीएड प्रशिक्षित हैं, जिन्होंने 2011 से 2022 के दौरान समय-समय पर हुई शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास की। यदि टीईटी पास न कर पाने वालों को भी शामिल किया जाए तो यह संख्या और भी ज्यादा हो जाती है।


अब तक

♦️25 अगस्त 2010: एनसीटीई ने बेसिक शिक्षक के लिए बीएड को हटाकर केवल डीएलएड को शैक्षिक योग्यता अनिवार्य किया


♦️28 जून 2018: एनसीटीई ने संशोधित अधिसूचना जारी करते हुए 50 प्रतिशत अंकों से ग्रेजुएट व बीएड डिग्री धारक को भी पात्र माना


♦️29 जुलाई 2019: उत्तराखंड सरकार ने प्रारंभिक शिक्षा (अध्यापक) (संशोधन) सेवा नियमावली में डीएलएड संग पुन : बीएड को भी शामिल कर लिया