आदेश की अवमानना में बीएसए के खिलाफ जमानती वारंट जारी


प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोर्ट के आदेश की अवमानना मामले में बेसिक शिक्षा अधिकारी औरैया के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर उन्हें 25 सितंबर को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है। कोर्ट ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट औरैया को नियत तिथि पर बेसिक शिक्षा अधिकारी की कोर्ट के समक्ष हाजिरी सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया है।


यह आदेश हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने के आरोप में बर्खास्त सहायक अध्यापक कृष्ण मुरारी द्वारा
दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।

याची के अधिवक्ता घनश्याम मिश्रा ने बताया कि याची की नियुक्ति विकलांग कोटे के तहत 2011 में सहायक अध्यापक के पद पर बलिया जिले में हुई थी। वर्ष 2017 में याची का स्थानांतरण औरैया जिले में हुआ। उसी वर्ष विभागों में नियुक्ति पाए विकलांग अभ्यर्थियों की जांच का शासनादेश जारी हुआ।

शासनादेश के अनुपालन में याची की जांच उपनिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य कानपुर के समक्ष की गई। जिसकी रिपोर्ट बीएसए औरैया के समक्ष नियत समय में नहीं पहुंची, जिस पर उन्होंने याची को फर्जी विकलांग प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी पाने का आरोप लगाते हुए बर्खास्त करते हुए 2011 से मिले वेतन की वसूली का आदेश दे दिया, साथ ही एफआईआर भी दर्ज करवा दी। याची ने एफआईआर को हाईकोर्ट और बर्खास्तगी और वेतन वसूली के आदेश को विभागीय अपील को चुनौती दी थी. 

याची के विरुद्ध दर्ज एफआईआर को हाईकोर्ट ने स्थगित कर दिया लेकिन विभागीय अपील में बीएसए के आदेश की पुष्टि कर दी गई। याची ने अपीलीय आदेश को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी। हाईकोर्ट ने अप्रैल 2022 को बर्खास्तगी और वेतन वसूली के आदेश पर रोक लगा दी।


जिसके आधार पर बीएसए औरैया स से सेवा में बहाली की मांग की गई। रिट कोर्ट आदेश का अनुपालन न होने पर विकलांग याची ने बीएसए औरैया के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल कर दी, जिसकी सुनवाई के बाद कोर्ट ने बीएसए को कोर्ट के आदेश को अनुपालन करने व का कई अवसर प्रदान किया।


बार-बार आदेश के बाद भी बीएसए द्वारा रिट कोर्ट और अवमानना अदालत के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया, जिससे नाराज कोर्ट ने बीएसए औरया के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर 25 सितंबर को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का आदेश पारित कर दिया है.