लखनऊ,
प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले दिव्यांग बच्चों के स्कूल समय में देखभाल के लिए विद्यालयों में रिसोर्स रूम बनेंगे। रिसोर्स रूम में फिजियोथैरेपी तथा ऑक्यूपेशनल थेरेपी से लेकर दिव्यांग बच्चों को तमाम सुविधाएं मिलेंगी, अभिभावकों को भी परामर्श दिए जाएंगे। केंद्र सरकार ने स्कूलों में रिसोर्स रूम के लिए प्रदेश के 65 जिलों के लिए 2.16 करोड़ रुपये जारी किए हैं, जिसमें से चयनित प्रत्येक जिले को 2-2 लाख रुपये दिए जाएंगे। केंद्र सरकार प्राप्त धन से रिसोर्स रूम के लिए दिव्यांगों के उपयोग में आने वाले उपकरण एवं अन्य सामग्रियां खरीदी जाएंगी।समेकित शिक्षा के तहत बनने वाले रिसोर्स रूम में दिव्यांगों के लिए कई तरह की सुविधाएं मुहैय्या कराई जाएंगी। मसलन, फिजियोथेरेपी की सुविधा,ऑक्यूपेशनल थेरेपी, दिव्यांग बच्चों का क्रियात्मक एसेसमेंट के अलावा अभिभावकों को परामर्श आदि भी दिए जाएंगे। उन्हीं रिसोर्स रूम के लिए फिजियोथेरेपी उपकरणों की खरीद उन्हीं जिलों में की जाएगी जहां फिजियोंथेरेपिस्ट कार्यरत होंगे। जिन जिलों में फिजियोथेरेपिस्ट नहीं है, वहां के स्कूलों में खुले रिसोर्स रूम के लिए दिव्यांगों के लिए जरूरी अन्य उपकरणों की खरीद की जाएगी।
*जिले की उच्चस्तरीय समिति करेगी उपकरण व सामग्री की खरीद*
रिसोर्स रूम के लिए उपकरण या अन्य सामग्रियों की खरीद के लिए जिले स्तर पर समिति बनाना अनिवार्य है। समिति में मुख्य विकास अधिकारी अध्यक्ष होंगे जबकि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सदस्य सचिव होंगे। इसके अलावा सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी, जिला समन्वयक (समेकित शिक्षा) तथा जिला समन्वयक (एमआईएस) ईएमआईएस इंचार्ज को समिति में सदस्य बनाया गया है।
*रिसोर्स रूम के भी तय किये गये हैं मानक*
रिसोर्स रूम बीआरसी परिसर स्थित प्राथमिक विद्यालय या बीआरसी के निकटस्थ प्राइमरी विद्यालय के अतिरिक्त कक्ष को बनाना होगा। स्थान चयन करने के दौरान दिव्यांग बच्चों के आवागमन की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखना होगा। रिसोर्स रूम के लिए खरीदे गए उपकरणों व अन्य सामग्रियों की पूरा विकरण स्टॉक पंजिका में दर्ज करना होगा। रिसोर्स रूम को दिव्यांग बच्चों के शिक्षण-प्रशिक्षण के लिए मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके संचालन की जिम्मेदारी विद्यालय के लपरधानाध्यापक व नोडल टीचर की होगी।