देवरिया। तरकुलवा क्षेत्र के मुरार छापर गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक को पीपल की डालियां कटवानी भारी पड़ गई हैं। वन विभाग ने बिना अनुमति के हरे पेड़ की डालियां कटवाने व बगुलों के बच्चों की मौत के मामले में हेडमास्टर को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन का दोषी पाया है। उनके खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। जबकि बीईओ की रिपोर्ट के आधार पर बीएसए ने उन्हें निलंबित कर दिया है और जांच कमेटी भी गठित कर दी है।
पथरदेवा विकास खंड के मुरार छापर गांव के प्राथमिक विद्यालय परिसर स्थित पीपल के हरे पेड़ की डालियों को रविवार को प्रधानाध्यापक खैरूल बशर ने मजदूरों से कटवा दिया था, जिससे उस पर स्थित बगुला पक्षियों का घोंसला उजड़ गया और बड़ी संख्या में बगुले के बच्चे जमीन पर गिरकर मर गए थे।
इस दौरान बगुलों के करीब एक दर्जन बच्चे चोटिल भी हो गए थे। जिसकी सूचना मिलने पर खंड शिक्षा अधिकारी सहित वन विभाग की टीम मौके पर पहुंच कर घटना की जांच पड़ताल की। वन विभाग की टीम ने घायल बगुलों का इलाज करवाया।
जबकि मृत बगुलों के शवों को सील कराकर सुरक्षित रख लिया।
डीएफओ जगदीश रामाश्रय ने बताया कि प्रधानाध्यापक ने बिना अनुमति के मनमाने ढंग से पीपल की डालियां कटवाई थीं, जिससे लगभग तीस बगुलों के बच्चों के मरने और घायल होने की पुष्टि हुई है। उन्होंने बताया कि प्रधानाध्यापक के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत केस दर्ज कराया गया है।
उधर जिला बेसिक शिक्षाधिकारी शालिनी श्रीवास्तव ने बताया कि प्रधानाध्यापक को प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया है।
उन्होंने बिना विभागीय अनुमति के विद्यालय कैंपस में हरे पीपल के पेड़ डालियों को कटवा दिया, जिससे उस पर से गिरकर बगुलों के बच्चों की मौत हो गई। इसलिए हेडमास्टर को तत्काल प्रभाव से निलंबित करके मामले की जांच कराई जा रही है.