पहली से पांचवीं तक औपचारिक परीक्षा नहीं आकलन के आधार पर मिलेगा ग्रेड, 6वीं से 8वीं कक्षा में लिखित परीक्षा पर जोर


नई दिल्ली। स्कूलों में नर्सरी, केजी, एलकेजी स्कूली शिक्षा का हिस्सा होंगे लेकिन पहली कक्षा से छात्र पहली बार किताब देखेंगे। पहली और दूसरी कक्षा के छात्र सिर्फ दो किताबें भाषा और गणित विषय की पढ़ेंगे। पहली से पांचवीं कक्षा तक औपचारिक परीक्षा की बजाय आकलन होगा। आकलन के आधार पर ग्रेड दिया जाएगा।


आकलन में लिखित परीक्षा के बजाय शिक्षक कक्षा में छोटे-छोटे वर्कशीट पर टेस्ट और अपने आकलन के आधार पर छात्रों को ग्रेड देंगे। पांचवीं कक्षा तक छात्रों को खेल-खेल में भाषा, गणित, मानवीय मूल्य, भारतीय परपंरा दुनिया के घटनाक्रम से जोड़ेंगे। वहीं तीसरी, चौथी और पांचवीं कक्षा के छात्रों को भाषा, विज्ञान, गणित, शारीरिक शिक्षा के साथ लिखने, पढ़ने और बोलने में माहिर किया
जाएगा। इन तीन कक्षाओं में गणित और भाषा पर विशेष रूप से काम होगा। कक्षा, उम्र के आधार पर हर विषय पर आकलन होगा और कमियों को दूर किया जाएगा।

अब 12वीं नहीं, 9वीं से भविष्य बनाने में मिलेगी मदद : 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं को सेकंडरी स्टेज में रखते हुए दो भागों में बांटा गया है। इसमें कई बड़े बदलाव किए गए हैं। कक्षा 10वीं को पूरा करने के लिए छात्रों को कक्षा नौंवी और 10वीं के दो वर्षों में कुल आठ आठ पाठ्यक्रम में से प्रत्येक से दो आवश्यक पाठ्यक्रम पूरे करने होंगे। उदाहरण के तौर पर अभी 10वीं बोर्ड परीक्षा के छात्रों को कम से कम पांच विषयों की पढ़ाई करनी होती है लेकिन नए नियमों में आठ विषयों को रखा गया है। इसमें ह्यूमैनाटिज, मैथमेटिक्स व कंप्यूटिंग, वोकेशनल एजुकेशन, फिजिकल एजुकेशन, आस एजुकेशन, सोशल साइंस, साइंस और इंटर डिसिप्लिनरी है। यह खबरें आप अपडेटमार्ट्स डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं.

वहीं, 11वीं और 12वीं कक्षा में छात्रों को अपने भविष्य को ध्यान में रखते हुए विषय चुनने की आजादी मिलेगी। 12वीं कक्षा तक छात्रों को 16 मनपसंद कोर्स की पढ़ाई करनी अनिवार्य रहेगी। इसका अर्थ है कि अब छात्र को कक्षा नौवीं से अपने भविष्य को लेकर तैयारी शुरू करनी होगी।




6वीं से 8वीं कक्षा में लिखित परीक्षा पर जोर

छठवीं से आठवीं कक्षा में पहली बार लिखित परीक्षा पर जोर होगा। यहां शिक्षक कक्षा में विषयों पर विस्तार से पढ़ाई करवाएंगे। यहां पर विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, वोकेशनल एजुकेशन विषयों को जोड़ा जाएगा। यहां आकलन के साथ-साथ लिखित परीक्षा पर भी जोर होगा। इसमें छात्रों की कक्षा और उम्र के आधार पर समझ तथा ज्ञान को भी परखा जाएगा