प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि कर्मचारी की मृत्यु के 26 साल बाद अनुकंपा नियुक्ति की अनुमति नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने अपनी इस टिप्पणी के साथ ही बैंक ऑफ बड़ौदा बरेली के सहायक महाप्रबंधक और क्षेत्रीय प्रमुख द्वारा जारी आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने अवनीश टंडन की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
याची ने बैंक ऑफ बड़ौदा में कार्यरत अपनी मां की मृत्यु के 26 साल बाद अनुकंपा नियुक्ति की मांग करते हुए रिट याचिका दायर की थी। याची की मां बरेली कॉर्पोरेशन बैंक में कैशियर कम क्लर्क के रूप में कार्यरत थी। इस बैंक का 1999 में बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय हो गया था। याची की ओर से कहा गया कि उसकी मां का निधन 12 नवंबर 1996 को हो गया था। उस समय याची / अवनीश नाबालिग था।
अवनीश ने बीकॉम पूरा करने के बाद 2007 में अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था लेकिन बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा उनके दावे पर ध्यान नहीं दिया। 2022 में उन्होंने अपने दावे पर विचार करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। कोर्ट ने अपने पूर्व के एक आदेश में बैंक को अवनीश के दावे पर विचार करने का निर्देश दिया था।
अवनीश ने बीकॉम पूरा करने के बाद 2007 में अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था लेकिन बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा उनके दावे पर ध्यान नहीं दिया। 2022 में उन्होंने अपने दावे पर विचार करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। कोर्ट ने अपने पूर्व के एक आदेश में बैंक को अवनीश के दावे पर विचार करने का निर्देश दिया था।