सोनभद्र। जिले की बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों की व्यवस्था अंतरजनपदीय तबादले के बाद लड़खड़ा गई है। शिक्षकों के तबादले के बाद 202 परिषदीय विद्यालय शिक्षक विहिन हो गए हैं। जबकि 622 विद्यालय एक ही शिक्षक के जिम्मे हो गए हैं। जिसके चलते बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। शिक्षकों की कमी को देखते हुए डीएम ने बीएसए से रिपोर्ट मांगी है।
जिले में कुल 2061 परिषदीय स्कूल संचालित हैं। इनमें पंजीकृत 2.25 लाख बच्चों को पढ़ाने के लिए करीब 47 सौ शिक्षक कार्यरत थे। लेकिन पिछले महीने 437 शिक्षकों का तबादला हो गया जबकि शासन की ओर से सिर्फ 36 शिक्षक मिले हैं। जिसके चलते शिक्षकों की संख्या यहां करीब 43 सौ रह गई है। इतनी बड़ी संख्या में शिक्षकों के जिले से जाने का असर जिले की शिक्षा व्यवस्था पर पड़ रही है। शिक्षकों के चार हजार से अधिक पद रिक्त हैं। करीब 202 स्कूल शिक्षक विहिन हो गए हैं, जबकि 622 से अधिक स्कूल एक शिक्षक के सहारे चल रहे हैं। इन शिक्षकों के जाने के बाद परिषदीय स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था लड़खड़ा गई है। पहले से ही शिक्षकों के आधे से अधिक पद रिक्त चल रहे हैं। अब तबादले के बाद शिक्षकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। जिले के ग्रामीण इलाकों में स्कूल शिक्षक विहिन हो गए हैं। शिक्षक विहिन हुए स्कूलों में बच्चों को बगल के विद्यालयों के शिक्षकों व शिक्षा मित्रों के माध्यम से संचालित किया जा रहा है। इसको लेकर जिलाधिकारी चन्द्र विजय सिंह ने बीएसए से रिपोर्ट मांगी है।
पिछले वर्ष 464 शिक्षकों का हुआ था तबादला
कोर्ट के आदेश के बाद पिछले वर्ष भी 464 शिक्षकों का तबादला हुआ था। इसमें ज्यादातर शिक्षक दूरदराज के ब्लाकों में तैनात थे। इन स्कूलों में पहले से ही अनुदेशक और शिक्षा मित्र के भरोसे पढ़ाई चल रही थी। लेकिन इस वर्ष भी तबादला होने के बाद शिक्षकों की कमी हुई है।
ग्रामीण विद्यालयों की लड़खड़ाई शिक्षा व्यवस्था
जिले में शिक्षकों के तबादले के बाद ग्रामीण विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था लड़खड़ा गई है। म्योरपुर, दुद्धी, बभनी, नगवां और चतरा ब्लाक में सबसे अधिक शिक्षकों की कमी हुई है। सबसे खराब स्थिति चोपन ब्लॉक की है। शिक्षकों के तबादले के बाद छात्र और शिक्षकों के आंकड़ा कमी आई है। लिहाजा यहां पठन- पाठन की व्यवस्था अब शिक्षा मित्रों और अनुदेशकों के कंधे पर है।
जिले में 437 शिक्षकों के तबादले के बाद 202 विद्यालय 66 शिक्षक विहिन हो गए हैं। जबकि 62वद्य शिक्षक के सहारे हो गए हैं। शिक्षामित्रों व बगल के विद्यालयों के शिक्षक के सहारे विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है। जिससे की बच्चों का पठन-पाठन प्रभावित न हो सके।
-नवीन कुमार पाठक, बीएसए ।