ससुराल वालों ने पढ़ाया-लिखाया, शिक्षिका बनने के बाद उन्हीं पर दर्ज कराया उत्पीड़न का केस, कोर्ट ने किया बरी
अयोध्या, शादी के बाद ससुराल वालों ने पढ़ाया-लिखाया और जब शीला शिक्षिका बन गई तो उसने ससुराल वालों को दहेज प्रताड़ना में फंसा दिया। असलियत कोर्ट में खुली तो कोर्ट ने सभी चारों आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया। दोषमुक्त हुए लोगों में साकेत महाविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व जिला पंचायत सदस्य संजय यादव समेत चार लोग शामिल हैं। यह आदेश अपर जिला जज अमित कुमार पांडेय की अदालत से बुधवार को हुआ ।
फौजदारी के वरिष्ठ अधिवक्ता सईद खान ने बताया कि शीला यादव निवासी चौरे बाजार पूरे छंगू अहीर का पुरवा थाना कोतवाली बीकापुर की शादी इसी कोतवाली क्षेत्र के धेनुवावा गांव निवासी अनिल कुमार यादव के साथ 1996 में हुई थी। शादी के समय शीला केवल इंटर पास थी। ससुराल वालों ने उसे एमए, बीएड कराया। इसके बाद वह प्राथमिक विद्यालय में शिक्षिका हो गई।
शिक्षिका होने के बाद वह अनिल से छुटकारा पाने का बहाना ढूंढ रही थी। कोई बहाना नहीं मिला तो ससुराल वालों पर दहेज में बाइक की मांग को लेकर मारने, पीटने, गालियां देने और शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवा दी।
उसने आरोप लगाया था कि 7 फरवरी 2009 को दिन में लगभग 2:30 बजे पति अनिल, सास यशोदा देवी, पूर्व जिला पंचायत सदस्य संजय यादव व ससुर रामतेज यादव ने उसे पीटा और जबरदस्ती उसको जहर खिला दिया। इस मामले में शीला का दो बार मेडिकल परीक्षण हुआ।
सात फरवरी की आख्या में डॉक्टर ने कोई चोट नहीं पाई जबकि 8 फरवरी की मेडिकल परीक्षण रिपोर्ट में उसके शरीर पर चोटें पाई गईं। पत्रावली पर जहर खिलाने से संबंधित कोई साक्ष्य नहीं पाया गया। इन्हीं त्रुटियों के कारण कोर्ट ने चारों को दोषमुक्त कर दिया।
बैठक में पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कश्यप व प्रदेश संरक्षक भास्कर सिंह बेसिक शिक्षा परिषद इस भर्ती में आरक्षण घोटाले को दबाने का प्रयास कर रहे हैं। बैठक में प्रदेश सचिव पुष्पेंद्र सिंह जेलर, रामविलास यादव, रवि निषाद, बीपी डिसूजा, शैलेंद्र कुमार, नितिन पाल, यदुवेंद्र सिंह, राजन जायसवाल आदि उपस्थित थे। वहीं बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल ने कहा कि उनकी बात को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है।